रोहित माहेश्वरी
करणी सेना द्वारा आगरा के कुबेरपुर मैदान में आयोजित `रक्त स्वाभिमान सम्मेलन’ रविवार को बवाल का केंद्र बन गया। सम्मेलन के दौरान कार्यकर्ताओं ने न केवल उग्र नारेबाजी की, बल्कि खुलेआम तलवारें और डंडे लहराकर शक्ति प्रदर्शन किया। हैरानी की बात यह रही कि यह सब कुछ पुलिस की मौजूदगी में हुआ, जो मूकदर्शक बनी रही। पुलिस ने स्थिति को संभालने की कोशिश जरूर की, लेकिन भीड़ के आक्रोश के आगे उसके प्रयास नाकाफी साबित हुए। बताया जा रहा है कि जब एडिशनल कमिश्नर सहित कई वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंचे तो भीड़ के आक्रोश को देखते हुए उन्हें भी लौटना पड़ा। घटना के दौरान करणी सेना के कार्यकर्ताओं ने भारत सरकार के पूर्व मंत्री और समाजवादी पार्टी के नेता रामजीलाल सुमन के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की। अब तक किसी गिरफ्तारी या कार्रवाई की पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन इस घटना ने प्रदेश की कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्थानीय प्रशासन ने जांच के आदेश दे दिए हैं और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की बात कही है। हालांकि, एक बड़ा सवाल यह है कि अगर पुलिस की मौजूदगी में ही ऐसा खुला प्रदर्शन हो सकता है तो आम जनता कितनी सुरक्षित है?
‘मॉडल प्रदेश’ की छवि कितनी सुरक्षित?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में हाल ही में हुए सनसनीखेज गैंगरेप मामले को गंभीरता से लेते हुए जैसे ही बाबतपुर एयरपोर्ट पर पहुंचे, उन्होंने सबसे पहले जिले के वरिष्ठ अधिकारियों को तलब किया और घटना की पूरी जानकारी ली। यह मामला २९ मार्च को शुरू हुआ, जब एक १९ वर्षीय युवती लापता हो गई। ४ अप्रैल को वह अर्धमूर्छित हालत में मिली। जांच में सामने आया कि उसे नशीला पदार्थ देकर छह दिन तक २३ लोगों ने अलग-अलग स्थानों पर उसके साथ दुष्कर्म किया। पुलिस अब तक १२ आरोपियों की पहचान कर चुकी है और १० को गिरफ्तार किया गया है। पीएम मोदी ने पुलिस कमिश्नर, मंडलायुक्त और जिलाधिकारी से सख्त लहजे में जवाब मांगा और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए सख्त निर्देश दिए। कानून व्यवस्था को लेकर यह हस्तक्षेप अपने आप में असामान्य है। खासकर, उस राज्य में जहां मुख्यमंत्री को `कड़क प्रशासन’ के लिए जाना जाता है। सवाल यह है कि जब प्रधानमंत्री को खुद स्थानीय अपराधों में दखल देना पड़े तो ‘मॉडल प्रदेश’ की छवि कितनी सुरक्षित रह पाती है?
‘माफी के बाद मायावती की मुरव्वत’
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को एक और मौका देते हुए पार्टी में वापसी की इजाजत दे दी है। हालांकि, उन्होंने दो टूक कहा कि उनके रहते किसी उत्तराधिकारी की घोषणा नहीं होगी। आकाश आनंद ने सोशल मीडिया पर माफी मांगते हुए अपनी गलतियों को स्वीकारा और भविष्य में ससुराल पक्ष की बातों में न आने का वादा किया। मायावती ने साफ कहा कि पार्टी के लिए रिश्ते-नाते मायने नहीं रखते। उन्होंने आकाश के ससुर अशोक सिद्धार्थ पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि उन्होंने पार्टी को गुटबाजी में बांटकर भारी नुकसान पहुंचाया, जिसे माफ नहीं किया जा सकता। हालांकि, आकाश की वापसी को राजनीतिक हलकों में युवा नेतृत्व को फिर से सक्रिय करने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है खासकर तब जब बसपा दलित युवाओं में अपनी पकड़ खोती दिख रही है। मायावती ने कहा कि वह पूरी तरह स्वस्थ हैं और कांशीराम के मिशन को तन्मयता से निभाती रहेंगी। ये पैâसला दिखाता है कि मायावती भले ही माफ कर दें, मगर नेतृत्व की बागडोर किसी को थमाने को तैयार नहीं हैं।