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जेजे अस्पताल में चल रहा खेल मरीजों को बाहरी लैबों में भेजने का आरोप! …शिकयतों के बाद जागा प्रशासन

– सभी के लिए जारी किया परिपत्र
धीरेंद्र उपाध्याय / मुंबई
राज्य सरकार द्वारा संचालित मुंबई के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल जेजे में इलाज के लिए आनेवाले गरीब मरीजों को लूटने का एक भी मौका चिकित्सक और स्वास्थ्यकर्मी नहीं छोड़ रहे हैं। इसी कड़ी में अस्पताल में विभिन्न तरह के सभी स्वास्थ्य परीक्षणों की सुविधा होने के बाद भी यहां कार्यरत कई लालची प्रोफेसर और रेजिडेंट डॉक्टर मरीजों को जांच के लिए बाहर स्थित लैबों में भेज रहे हैं। यह गोरखधंधा डॉक्टरों और बाहरी लैब चालकों के बीच सांठगांठ में कई सालों से चल रहा है। सबसे अचंभित करने वाली बात यह है कि अस्पताल की डीन के नाक के नीचे इस तरह का खेल चल रहा है। हालांकि, कई शिकायतों के बाद प्रशासन की नींद खुली और सभी के लिए परिपत्र जारी करते हुए कहा है कि बहुत जरूरत होने पर ही जांच के लिए मरीजों को बाहर भेजें।
उल्लेखनीय है कि जेजे अस्पताल के ओपीडी में हर दिन करीब ४,००० मरीज आते हैं। इसके साथ ही बड़ी संख्या में भर्ती मरीजों का इलाज होता है। फिलहाल, इस समय जेजे अस्पताल खुद ही बीमार हो गया है। अस्पताल में साफ-सफाई के अभाव में गंदगी के कारण पैâली दुर्गंध ने मरीजों और उनके परिजनों को नाक सिकोड़ने के लिए मजबूर कर दिया है। दूसरी तरफ अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टरों का मरीजों के साथ बर्ताव सही नहीं रहता है। वे परिजनों से इस तरह से व्यवहार करते हैं कि मानो अस्पताल उनकी ही जागीर है। इसके साथ ही यहां दवाओं की अक्सर कमी रहती है, जिस कारण दवाएं उन्हें बाहरी मेडिकल स्टोरों से खरीदनी पड़ती है। इसके साथ ही हजारों रुपयों के सर्जिकल सामानों को भी बाहर से ही खरीदने के लिए बाध्य किया जाता है। इसी में अस्पताल के डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ की शह पर निजी लैबों के प्रतिनिधि अस्पताल में आकर मरीजों के ब्लड कलेक्शन करते हैं, जबकि अस्पताल में लगभग हर तरह के खून की जांच होती है। लेकिन मामूली फायदे के लिए लालची डॉक्टर और स्टाफ गरीब मरीजों को बलि का बकरा बनाते हैं।

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