उमेश गुप्ता / वाराणसी
गंगा में उफान जारी है। मंगलवार को गंगा का पानी ६८ मीटर के पार पहुंच कर स्थिर हो गया। जलस्तर चेतावनी बिंदु से महज दो मीटर नीचे है। ऐसे में तटवर्ती इलाकों में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है। इसको लेकर आस-पास रहने वाले लोग सशंकित हैं। गंगा के जलस्तर में वृद्धि को देखते हुए प्रशासन ने निगरानी बढ़ा दी है।
बता दें कि गंगा का जलस्तर पिछले चार दिनों से बढ़ रहा है। रविवार को जलस्तर १० सेंटीमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से बढ़ रहा था। सोमवार को रफ्तार चार सेंटीमीटर प्रति घंटा रही, जबकि केंद्रीय जल आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक, मंगलवार की सुबह आठ बजे गंगा का जलस्तर ६८.३० मीटर पहुंचकर स्थिर था। जलस्तर बढ़ने से घाटों की सीढ़ियां डूबने लगी हैं, वहीं निचले इलाकों में पानी घुसने लगा है। गंगा की वजह से वरुणा में भी पलट प्रवाह हो रहा है। इससे वरुणा के तटवर्ती इलाकों में भी बाढ़ का खतरा बढ़ गया है। पर्वतीय इलाकों में लगातार बारिश व बाढ़ के चलते गंगा के जलस्तर में तेजी आई है। इसको देखते हुए प्रशासन अलर्ट है। एनडीआरएफ व जल पुलिस की टीम चौकन्ना है। घाटों पर निगरानी की जा रही है। गंगा के आस-पास के इलाकों में रहने वाले लोग भी सावधानी बरत रहे हैं। मकान के ग्राउंड फ्लोर को खाली किया जा रहा है। वहीं पूरी सतर्कता बरती जा रही है।
गंगा के इस रौद्र रूप के चलते श्मशान घाटों पर आने वाले शव को साथ लेकर आने वालों को भारी फजीहत का सामना करना पड़ रहा है। काशी का महाश्मशान कहे जाने वाला मणिकर्णिका घाट गंगा में डूब चुका है। शव को जिस जगह जलाया जाता है, वहां पानी भर गया है। ऐसी कोई जगह नहीं बची है, जहां पर शव की अंत्येष्टि की जा सके। शवदाह का काम अब बाबा मसान नाथ की छत पर हो रहा है। यहां पर ४ से ५ घंटे की वेटिंग चल रही है। बड़ी मुश्किल से लकड़ियों को रखने के लिए जगह बनाया गया है।
कुछ यही हाल हरिश्चंद्र घाट की भी है, जहां पर सभी सीढ़ियां पूरी तरह जलमग्न हो चुकी हैं। ऐसे में शवों को आबादी वाली गलियों में जलाया जा रहा है। गंगा के बढ़ते जलस्तर के कारण दशाश्वमेध की गंगा आरती भी छत पर की जा रही है।