मुख्यपृष्ठअपराधयूपी में विदेशी हथियारों से नौसिखिए कर रहे गैंगस्टरों का खेला

यूपी में विदेशी हथियारों से नौसिखिए कर रहे गैंगस्टरों का खेला

मंगलेश्वर (मुन्ना) त्रिपाठी

जौनपुर। उत्तर प्रदेश के कुख्यात माफिया अतीक अहमद व उसके भाई अशरफ की पुलिस कस्टडी में मौत के घाट उतारने की वारदात हो या उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के जिला सत्र न्यायालय में न्यायाधीश के सामने मुख्तार अंसारी गैंग के कुख्यात बदमाश संजीव जीवा पर गोलियों की बौछार की वारदात, फिलहाल दोनों घटनाओं से एक बात तो साफ है कि कोई ‘अदृश्य शक्ति’ है, जो माफियाओं के काले साम्राज्य का खात्मा चाहती है। बड़े शूटरों द्वारा इनकार करने पर कुख्यात माफियाओं के अंत के लिए अब नौसिखियों का सहारा लिया जा रहा है। उन्हें अत्याधुनिक व मंहगे हथियार मुहैया कराये जा रहे हैं। यह ‘अदृश्य शक्ति’ जरायम की दुनिया से भी हो सकती है और कानून व्यवस्था संभालने वाले विभाग की भी।

प्रयाग और लखनऊ की वारदातों में कई समानता है। माफियाओं के सफाये के लिए नये और नौसिखिये शूटरों का इस्तेमाल किया गया। जरायम की नई पौध का सहारा लिया जा रहा है। इस घटना के साथ प्रयाग में हुए अतीक और अशरफ की हत्या से मेल खा रही है। अंसारी बंधु के हमलावर मीडिया कर्मी के भेष में आये थे और यहां वकील की पोशाक में थे। वहां भी तीनों हमलावर २० से २५ वर्ष की उम्र के थे। यहां भी करीब २०-२१ वर्ष का लड़का। वहां तीनों ने खुद को सरेंडर कर दिया तो लखनऊ में वकीलों ने हत्यारे को दबोच लिया। जीवा को मौत के घाट उतारने वाले का नाम विजय यादव है। वह जौनपुर के केराकत कोतवाली क्षेत्र के अंतर्गत सरकी सुल्तानपुर गांव का निवासी है। प्रदेश की राजधानी को अपनी गोलियों से थर्राने वाले इस नये शूटर के कारनामे से जौनपुर जनपद सुर्खियों में आ गया। पुलिस उसका आपराधिक इतिहास खंगालने में जुट गई। पुलिस उपाधीक्षक गौरव शर्मा के साथ केराकत कोतवाली पुलिस का एक दल उसके घर पहुंच गया। पूछताछ में पता चला कि विजय यादव के खिलाफ वर्ष २०१६ में सिर्फ एक नाबालिग लड़की को भगाने का आरोप है। उसके पिता श्यामा यादव ने बताया कि विजय मुंबई में टाटा कंपनी में काम करता था। वहां से नौकरी छोड़कर घर चला आया। डेढ़ माह बाद रोजगार के सिलसिले में लखनऊ गया था। बीते १० मई को मामा की लड़की की शादी में आया था। फिर अगले ही दिन वापस चला गया। उसके बाद से कोई बातचीत नहीं हुई। मोबाइल नंबर बंद आ रहा था। विजय यादव द्वारा कुख्यात शूटर जीवा को गोलियों से छलनी करने की खबर से स्वजन सहित गांव वाले भी अचंभित हैं। उन्हें विश्वास ही नहीं हो रहा कि विजय यादव इतनी बड़ी घटना को अंजाम दे सकता है। मुंबई में एक कंपनी में काम करने वाला २० साल का लड़का कब और कैसे इतना बड़ा शूटर बन गया जीवा ?

पर मैग्नम अल्फा .३५७ बोर की रिवॉल्वर से गोलियां दागने की पुष्टि पुलिस ने की है। यह रिवाल्वर चेक रिपब्लिक की बनी है। ये रिवॉल्वर भारत में प्रतिबंधित नहीं है। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि रिवॉल्वर आरोपी विजय यादव को कैसे मिली? क्या उसकी यह हैसियत है कि वह ऐसी रिवाल्वर रख सके? यह किसी ने उपलब्ध कराई या फिर उसने खरीदी? एक पुलिस अधिकारी ने बताया इसके एक कारतूस की कीमत लगभाग २००० रुपए है। बरामद खोखे और रिवॉल्वर की बैलिस्टिक जांच कराई जाएगी। फोरेंसिक टीम ने इसको कब्जे में लेकर सील कर दिया है।

आमतौर पर पंजाब, हरियाणा में इसकी बिक्री है। ऐसे में जांच का बिषय यह है कि क्या पंजाब के किसी तस्कर या गैंगस्टर के जरिये यह रिवाल्वर विजय यादव तक पहुंची। इस पहलू पर भी जांच की जा रही है। फिलहाल, अभी विजय यादव ही पुलिस की गिरफ्त में है। पुलिस ने जब पूछताछ की तो ये भी बात सामने आई कि वारदात के वक्त कोर्ट रूम में विजय का एक और साथी मौजूद था। लेकिन, वह वहां से भाग निकला। पुलिस इस तथ्य का सत्यापन कर रही है। सीसीटीवी फुटेज आदि जुटा रही है। ये भी आशंका है कि शायद बैकअप के लिए और भी हो सकते हैं।

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