सामना संवाददाता / मुंबई
समलैंगिकों में एचआईवी के खतरों के बारे में जागरूक करने के लिए मुंबई डिस्ट्रिक्ट एड्स कंट्रोल सोसाइटी (एमडीएएक्स) ने एक नई पहल शुरू की है, जिसके तहत एचआईवी केयर गिवर के सात डेटिंग ऐप्स के जरिए ऐसे लोगों तक पहुंच बनाई जा रही है। इसके साथ ही कर्मचारी भी लोगों के बीच एचआईवी बीमारी के बारे में जागरूकता फैलाने का काम कर रहे हैं। साथ ही उन्हें एचआईवी की जांच कराने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं।
इस सकारात्मक पहल में लोगों को उनकी एचआईवी स्थिति जानने के अलावा इस बीमारी से बचने और सुरक्षित यौन संबंध बनाने के बारे में भी सलाह दी जाती है। आज के वर्चुअल युग में लोग रिश्ते बनाने के लिए डेटिंग ऐप्स और सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट्स का इस्तेमाल कर रहे हैं। सामान्य यौन संबंध के अलावा समलैंगिक कई ऐप्स का भी इस्तेमाल कर रहे हैं। इस बीच एक से अधिक साथियों के साथ असुरक्षित यौन संबंध बनाने से एचआईवी या यौन संचारित रोगों (एसटीडी) का खतरा होता है।
इन सोशल मीडिया का किया उपयोग
कई लोग शारीरिक संबंध बनाने के लिए ऑनलाइन पार्टनर की तलाश में रहते हैं। एमडेक्स ने हाल ही में ऑनलाइन पर साथियों की तलाश कर रहे समलैंगिक और ट्रांसजेंडर पर अध्ययन किया। इस अध्ययन में ८,५८२ समलैंगिकों और ४,१६३ ट्रांसजेंडरों को शामिल किया गया। उनकी उच्च जोखिम वाली आदतों पर बारीकी से नजर रखी गई। साथ ही यह पता लगाने की कोशिश की गई कि ये लोग साथी ढूंढ़ने के लिए कौन से डेटिंग ऐप्स का सबसे अधिक उपयोग करते हैं। उनसे उनके यौन व्यवहार के बारे में भी पूछा गया। जिसमें समूह, संबंध बनाने, पार्टियों में भाग लेने और अपनी एचआईवी स्थिति से अवगत होने जैसे सवाल पूछे गए। इनमें से ४८ प्रतिशत समलैंगिकों ने कहा कि उन्होंने ऑनलाइन पार्टनर ढूंढ़ने के लिए ग्रिंडर, ४२ प्रतिशत ने फेसबुक और ३६ प्रतिशत ने ब्लूड ऐप का इस्तेमाल किया।
सबसे ज्यादा इंटरनेट का हुआ उपयोग
अध्ययन में पाया गया कि करीब ८८ प्रतिशत समलैंगिकों के पास मोबाइल फोन है। वहीं ५१ प्रतिशत ट्रांसजेंडरों के पास मोबाइल फोन नहीं है। इंटरनेट उपयोग के मामले में समलैंगिक (७८ प्रतिशत) ट्रांसजेंडर (२७ प्रतिशत) से आगे हैं। ट्रांसजेंडरों की तुलना में २८ प्रतिशत समलैंगिकों ने पार्टियों में जाने की बात स्वीकार की। इसके अतिरिक्त १७ प्रतिशत समलैंगिक और १२ प्रतिशत ट्रांसजेंडर यौन संबंध के दौरान असुरक्षित थे।
जागरूकता जरूरी
जानकारी के अनुसार, इस जोखिम को कम करने और उपर्युक्त लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाने के लिए इंटरनेट आधारित हस्तक्षेप की आवश्यकता है। इसे ध्यान में रखते हुए एमडेएक्स ने एचआईवी केयर गिवर द्वारा उक्त विभागों तक पहुंचने का फैसला किया। बताया गया है कि एमडेएक्स और एनजीओ की पायलट परियोजना की तर्ज पर साल २०२० में एचआईवी केयर गिवर शुरू की गई थी, जिसमें एचआईवी केयर गिवर की नियुक्त की गई थी। इसका उद्देश्य डेटिंग ऐप पर लोगों से संपर्क करना, उन्हें एचआईवी संबंधी मदद करना था। इसके साथ ही बीमारी के बारे में जानकारी देना और जांच कराने के लिए प्रेरित करना था।
जांच के लिए आए आगे
एमडेक्स के आंकड़ों के अनुसार, केयर गिवर की ओर से ८४,३८५ एचआईवी जागरूकता संदेश भेजे गए, जिनमें से १३,५३७ लोगों ने केयर गिवर द्वारा द्वारा भेजे गए संदेश का जवाब दिया और उनमें से १,१६६ एचआईवी और एसटीडी परीक्षण के लिए आगे आए।