अध्ययन में सामने आई जानकारी
धीरेंद्र उपाध्याय / मुंबई
मल्टी-ड्रग प्रतिरोधी के मामले बढ़ने से टीबी के कई मरीजों को ठीक होने में समय लगता है। इसी बीच टीबी मरीजों के लिए एक राहत भरी खबर आई है। इसमें बताया गया है कि जीनोम सीक्वेसिंग इलाज पद्धति टीबी के इलाज में महत्वपूर्ण साबित हो रही है। एक हालिया अनुसंधान में स्पष्ट हुआ है कि मल्टी-ड्रग प्रतिरोधी मामलों को समझने में इस तरीके से मदद मिल रही है।
उल्लेखनीय है कि टीबी विश्व स्तर पर दूसरी सबसे आम संक्रामक बीमारी है। हिंदुस्थान में साल २०२० में टीबी के २.९५ करोड़ मामलों का पता चला था। इनमें से १,३५,००० मल्टी-ड्रग प्रतिरोधी टीबी मरीज थे। फिलहाल, टीबी का इलाज लंबा और दर्दनाक होता है इसलिए कई मरीज इसे बीच में ही छोड़ देते हैं इसलिए मल्टी-ड्रग प्रतिरोधी रोगियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। ऐसे मरीजों का दोबारा इलाज करना मुश्किल होता है। इन रोगियों के इलाज के लिए जीनोम सीक्वेसिंग एक महत्वपूर्ण उपचार पद्धति साबित हो रही है। इसे लेकर पुणे के डॉ. डी.वाई. पाटील मेडिकल कॉलेज और आईआईटी मुंबई का जीनोम सीक्वेंसिंग क्रम निर्धारण को लेकर काम करनेवाली हेस्टैक एनालिटिक जीनोमिक्स डायग्नोस्टिक सॉल्यूशंस द्वारा अनुसंधान किया गया था। इस अनुसंधान में यह जानकारी सामने आई है।
इस तरह किया गया अनुसंधान
बढ़ते टीबी को लेकर डॉ. डी.वाई. पाटील मेडिकल कॉलेज और हेस्टैक एनालिटिकल ने ६०० मल्टी-ड्रग प्रतिरोधी टीबी रोगियों के नमूनों की जीनोम अनुक्रमणिका बनाई। इसमें टीबी रोगियों के लिए प्रतिजैविक के रूप में पहले चरण में रिपैâम्फिसिन, आयसोनियाजिड और श्वसन और मूत्र मार्ग के संक्रमण से बचने के लिए दिए जानेवाले फ्लूरोक्विनोलोन दवाओं के प्रति मल्टी-ड्रग प्रतिरोधी पाया गया। दूसरी तरफ ५०.८३ प्रतिशत मरीजों में प्री एक्सडीआर टीबी और १५.५ प्रतिशत मरीजों में एमडीआर टीबी पाया गया। इसके अलावा १५ से ३५ वर्ष की आयु के ५५ प्रतिशत रोगियों और १४ वर्ष की आयु के ६७ प्रतिशत रोगियों में एक्सडीआर टीबी पाया गया।
संपूर्ण जीनोम सीक्वेंसिंग थैरेपी के
उपयोग पर डालता है प्रकाश
हेस्टैक एनालिटिक्स की सीईओ और सह-संस्थापक डॉ. अनिर्वन चटर्जी ने कहा कि अध्ययन सटीक निदान, व्यक्तिगत उपचार रणनीतियों और दवा प्रतिरोधी टीबी के उपचार के लिए चिकित्सकों द्वारा संपूर्ण जीनोम सीक्वेंसिंग थैरेपी के उपयोग पर प्रकाश डालता है। इसके अलावा उन्नत प्रौद्योगिकी के तर्क संगत उपयोग और उचित टीबी उपचार विधियों के बारे में डॉक्टरों के साथ रोगियों को शिक्षित करने का अवसर है।