जर्मनी में घर की कमी बड़ी समस्या बनती जा रही है। बेघरों में महिलाओं और लड़कियों की संख्या चिंताजनक रूप से ज्यादा है। विशेषज्ञ कहते हैं कि बेघर होना इस समूह के लिए खतरनाक हो सकता है। जर्मनी में जिन लोगों के पास अपना घर नहीं है, उनमें करीब २० फीसदी लोगों की उम्र २५ साल से कम है। यह जानकारी फेडरल वर्किंग ग्रुप ऑन होमलेस असिस्टेंस (बीएजी डब्ल्यू) की नई रिपोर्ट से मिली है। यह संगठन जर्मनी में बेघर लोगों के लिए सहायता उपलब्ध कराने वाली २२७ संस्थाओं और १,००० से ज्यादा सेवाओं का प्रबंधन करता है।
संगठन की हालिया रिपोर्ट में बेघर लोगों और बेघर होने के खतरे का सामना कर रहे लोगों की जिंदगी और रहन-सहन की जानकारी दी गई है। यहां बेघर होने का मतलब यह है कि किसी व्यक्ति के पास या तो अपना घर नहीं है या वह जिस घर में रह रहा है, उसके लिए किराये का अनुबंध नहीं है। आमतौर पर किराए का घर न होने के बावजूद लोग सड़कों पर नहीं रहते हैं। कई लोग अपने दोस्तों या परिचित के साथ रहने के लिए जगह ढूंढ़ते हैं, जिसे `काउच हॉपिंग’ कहा जाता है।
बीएजी डब्ल्यू की रिपोर्ट के लेखकों में से एक मार्टिन कोजित्सा का कहना है, हम इसे `परोक्ष तौर पर बेघर होना’ कहते हैं। आमतौर पर जब आप `बेघर’ शब्द सुनते हैं, तो आपको उन लोगों का ध्यान आता है जो सड़कों पर रहते हैं।’ हालांकि, २०२२ में १८ साल से कम उम्र के जिन लोगों ने बेघर लोगों से जुड़ी सेवाओं में खुद को रजिस्टर किया, उनमें १६ फीसदी लोग ऐसे थे, जिन्होंने पिछली रात सड़क पर बिताई थी। इस रिपोर्ट से एक चिंताजनक रुझान सामने आया कि बेघर महिलाओं में अधिक आयुवर्ग की महिलाओं के मुकाबले २५ साल से कम की महिलाओं और लड़कियों की संख्या कहीं ज्यादा है।