सामना संवाददाता / मुंबई
महाराष्ट्र में पिछले कुछ दिनों से कट्टर प्रवृत्ति के असामाजिक तत्वों द्वारा सामाजिक एकता को बिगाड़ने का प्रयास किया जा रहा है, जिसके कारण राज्य में कानून व्यवस्था बिगड़ रही है। इन सभी घटनाओं की उच्चस्तरीय जांच की जाए, ऐसी मांग विधान परिषद के विरोधी पक्ष नेता अंबादास दानवे ने राज्यपाल रमेश बैस को लिखे पत्र में की है। महाराष्ट्र में संत ज्ञानदेव, नामदेव, एकनाथ, तुकोबा सहित महात्मा चक्रधर इत्यादि संतों की परंपरा रही है। यह महाराष्ट्र छत्रपति शिवाजी महाराज, संत गाडगेबाबा, संत तुकड़ोजी महाराज, महात्मा फुले, छत्रपति शाहू महाराज, डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर, कर्मवीर भाऊराव पाटील का है। ऐसी कितनी महान विभूतियों से बने महाराष्ट्र में सभी जाति धर्म के लोग मिल जुलकर रहते आए हैं। लेकिन पिछले कुछ महीनों से कुछ असामाजिक तत्व सोशल मीडिया के माध्यम से कट्टरता का प्रचार करके दंगा करवाने का प्रयास कर रहे हैं, जिसके कारण राज्य में अशांति और दंगे जैसे हालात हो गए हैं। राज्यपाल होने के नाते आपको इस मामले पर गंभीरता से ध्यान देने की आवश्यकता है, ऐसा दानवे ने राज्यपाल को लिखे अपने पत्र में कहा है। राज्य में सांप्रदायिक एकता का इतिहास होने के बावजूद भी पिछले ढाई से तीन महीने विशेषकर इस सप्ताह राज्य के विभिन्न शहरों में सांप्रदायिक तनाव या हिंसा की आठ से अधिक घटनाएं घटी हैं। कुछ जगहों पर अचानक औरंगजेब का फोटो लगाकर तनाव पैदा किया गया। इससे सांप्रदायिक तनाव बढ़ने लगा, ऐसा दानवे ने राज्यपाल को लिखे पत्र में कहा है। अगर पुलिस अपना काम ठीक से कर रही है तो इन सब घटनाओं को रोकने में सरकार असफल क्यों रही? ऐसा उन्होंने पत्र में सवाल किया है।
दोषियों पर कठोर कार्रवाई करो
राज्य के प्रथम नागरिक के तौर पर इन सब घटनाओं को गंभीरता से लेते हुए एक उच्चस्तरीय समिति बनाकर सभी घटनाओं की जांच करके दोषियों पर कठोर कार्रवाई करने का आदेश दें, ऐसी मांग दानवे ने की है।