सुनील ओसवाल / मुंबई
महाराष्ट्र विधानसभा का वक्त नजदीक आता जा रहा है। कभी भी इसकी घोषणा हो सकती है। इसे देखते हुए राज्य की ‘घाती’ सरकार पूरी तरह से जुमलेबाजी के मूड में आ गई है। इसके तहत सरकार फटाफट रेवड़ियां बांटने में जुट गई है। पिछले तीन दिनों में सरकार ने ८६ ‘जुमले’ निपटा दिए हैं।
बता दें कि ‘घाती’ सरकार पूर्व में भी कई जुमलेबाजी कर चुकी है। कई योजनाओं की घोषणाएं तो हुईं पर धन के अभाव में आंशिक रूप से बंद भी हो गर्इं। अब विधानसभा चुनाव का बिगुल बजने से पहले, राज्य सरकार जल्दबाजी में निर्णय ले रही है। सूत्रों ने बताया कि तीन दिनों में विभिन्न विभागों के ८६ सरकारी पैâसले किए गए हैं। इसके तहत पिछले तीन दिनों में लोक स्वास्थ्य विभाग, गृह विभाग, राजस्व और वन विभाग, महिला एवं बाल कल्याण विभाग, खाद्य, नागरिक आपूर्ति विभाग, आदिवासी विभाग, वित्त विभाग, स्कूल शिक्षा और खेल विभाग से जुड़े ८६ सरकारी फैसले लिए गए हैं। बताया जाता है कि अधिकारियों और कर्मचारियों के तबादलों, पोस्टिंग और प्रमोशन को लेकर ज्यादातर सरकारी फैसले विधायकों और मंत्रियों के पक्ष में होते हैं। विश्वसनीय सूत्र बताते हैं कि बजट में शामिल कुछ परियोजनाओं के लिए पहले चरण की धनराशि स्वीकृत की जा रही है। इसके अलावा सरकार में प्रमुख परियोजनाओं को शुरू करने के उद्देश्य से सरकार द्वारा टोकन राशि स्वीकृत की जा रही है। इसके लिए मंत्रालय के हर विभाग में विभिन्न योजनाओं के साथ परियोजनाओं का संचालन तय करने का प्रयास किया गया है।
सुबह उठें, दोपहर में फैसले लें
सरकार आम लोगों की नहीं बल्कि उद्योगपतियों की है। विधानसभा चुनाव के मद्देनजर सरकार फंड का जुगाड़ कर रही है। यही वजह है कि राज्य सरकार द्वारा महज तीन दिनों में जारी किए गए ८६ सरकारी आदेशों से पता चलता है। प्रदेश में त्योहार के दिन नजदीक आ रहे हैं। राशन दुकानों पर लोगों को राशन नहीं मिल रहा है, योजनाओं की कोई चर्चा नहीं है, सिर्फ सुबह उठें और दोपहर में फैसले लें।
-अतुल लोंढे, (प्रवक्ता महाराष्ट्र कांग्रेस)
फंड की कमी से योजनाएं बंद
पिछले कुछ दिनों से राज्य में कई योजनाएं फंड की कमी के कारण बंद हो गई हैं। कुछ गांवों में पाइपलाइन योजनाओं की पूरी फंडिंग नहीं होने के कारण ये ठप हो गई हैं। कहीं-कहीं रोजगार गारंटी से ऊपर के मजदूरों को मजदूरी नहीं मिल रही है, स्कूली विद्यार्थियों को समय पर यूनिफॉर्म नहीं मिल रही है। राशन पर साड़ी वितरण की स्थिति नहीं बताई जा रही है। राज्य में कितने जिलों में साड़ी बांटी गई है, इसकी कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है। राज्य में राशन खाद्य दुकानों की बड़ी समस्या है। ऐसा देखा जा रहा है कि सरकारी स्तर पर कोई निर्णय नहीं लिया जा रहा है।