सामना संवाददाता / मुंबई
मंत्रालय की सातवीं मंजिल पर रिनोवेट किया गया। राज्य की इन्प्रâास्ट्रक्चरल (बुनियादी सुविधाओं) परियोजनाओं पर `मुख्यमंत्री वॉर रूम’ के माध्यम से नियंत्रण रखा जाता है इसके अलावा इस वॉर रूम के माध्यम से लगातार परियोजनाओं की मॉनिटरिंग (निगरानी) की जाती है। नया वॉर रूम बहुत ही विशाल और आधुनिक तकनीक से लैस है। इन सब के बावजूद यह वॉर रूम कारगर साबित नहीं हो पा रही है। वॉर रूम को कल तक विभिन्न परियोजनाओं से संबंधित लगभग ३५० शिकायतें प्राप्त हुई हैं। इनमें से केवल १६५ शिकायतों का समाधान अब तक हो सका है। बाकी शिकायतें लंबित हैं। मंत्रालय स्थित वॉर रूम के बारे में कहा जा रहा है कि यह वॉर रूम काम का न धाम का मुख्यमंत्री वॉर रूम नाम का।
सूत्रोंं के मुताबिक, परियोजना को तेज गति से पूरा करने के लिए केवल बैठकों का आयोजन किया जाता है। अब तक दौ सौ से अधिक बैठकें हो चुकी हैं। लेकिन परिणाम कुछ नहीं निकला है। इस दौरान मुख्यमंत्री द्वारा राज्य में परियोजनाओं के नियंत्रण के लिए विकसित किए गए डैशबोर्ड, परियोजना (प्रोजेक्ट) फाइल की वर्तमान स्थिति, जिस विभाग के पास लंबित है, उस विभाग को जाने वाली नोटिफिकेशन आदि के बारे में भी जानकारी ली जानी चाहिए। इन सभी पद्धतियों (तरीकों) से परियोजना में तेजी आएगी और परियोजना को निर्धारित समय के भीतर पूरा करने में मदद मिलेगी।
वॉर रूम की विशेषताएं
राज्य के १५ क्षेत्रों की ७४ परियोजनाओं के विभिन्न चरणों के कार्यों की समीक्षा करना, परियोजना को पूरा करने के लिए कार्यान्वयन तंत्र (सिस्टम), फंड (निधि) देने वाली तंत्र (सिस्टम) के बीच समन्वय करना, एक्जीक्यूटिव, सेक्टरल और प्रोजेक्ट डैशबोर्ड का निर्माण करना, इन डैशबोर्डों के माध्यम से परियोजना के प्रत्येक क्षेत्र के कार्य का मूल्यांकन करना,परियोजना की प्रगति में आने वाली बाधाओं को हल करने के लिए विभागों के बीच प्रभावी समन्वय और ट्रैकिंग तंत्र का विकास जैसी आदि विशेषताएं होती हैं।