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घाती सरकार का महिलाओं के हक पर डाका … बंद किया ‘महिला भवन’ निजी संस्थाओं को सौंपा …प्रशिक्षण केंद्र को बना दिया मुनाफे का सौदा

प्रेम यादव / भायंदर
महिला सशक्तीकरण के नाम पर मीरा रोड में महापौर निवास से तब्दील कर बनाए गए ‘महिला भवन’ पर मनपा ने महज दो साल में ताला लगा दिया है। यह वही भवन है, जिसे उद्घाटन कर महिला कौशल विकास और प्रशिक्षण केंद्र बताया गया था। अब, यह भवन पांच साल के लिए एक निजी संस्था को किराए पर दे दिया गया है, जिससे स्थानीय महिलाएं इस भवन के उपयोग और सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित रह गई हैं।
महिला भवन से सशक्तीकरण का दावा हुआ छू-मंतर  
मनपा के महापौर निवास को ‘महिला भवन’ में बदलने का निर्णय लिया गया था। ८ मार्च २०२२ को महिला दिवस पर तत्कालीन महापौर ज्योत्स्ना हसनाले ने इस भवन का उद्घाटन किया था। भवन में महिलाओं के लिए मुफ्त सिलाई, योगा, कंप्यूटर प्रशिक्षण, लघु उद्योग, कपड़े के बैग बनाने का प्रशिक्षण, मेकअप, सैनेटरी पैड बनाने जैसे कई कार्यक्रमों की शुरुआत की गई थी। इन सबके साथ, केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं की जानकारी भी यहां दी जानी थी। हालांकि, अब मनपा ने इस भवन को बंद कर दिया है और इसे ‘इंडिया ट्रेनिंग एंड एम्प्लॉयमेंट वोकेशनल कॉलेज’ नामक एक निजी संस्था को पांच साल के लिए सौंप दिया है। इस निर्णय से स्थानीय महिलाओं में भारी नाराजगी है, क्योंकि यह संस्था अब भवन का व्यावसायिक उपयोग कर रही है, और महिलाओं से प्रशिक्षण के लिए शुल्क लिया जा रहा है। महिलाओं को पहले जो सुविधाएं मुफ्त में मिलती थीं, अब उनके लिए पैसे देने पड़ रहे हैं।
महिलाओं के अधिकारों की अनदेखी
मनपा ने इस भवन को निजी संस्था को सौंपने का जो निर्णय लिया है, उसे लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। मनपा के वरिष्ठ अधिकारियों ने तर्क दिया कि महिलाओं की कम प्रतिक्रिया के कारण यह निर्णय लिया गया, लेकिन सवाल यह उठता है कि जिस भवन का उद्देश्य महिलाओं को सशक्त बनाना था, उसे अचानक क्यों बंद किया गया? क्या मनपा प्रशासन और सरकार का यह कदम महिलाओं के अधिकारों और उनकी उन्नति को अनदेखा करने का संकेत नहीं है?
अगले महापौर निवास का
सवाल हुआ खड़ा
मीरा रोड पूर्व कनकिया क्षेत्र में २००४ में महापौर निवास का निर्माण किया गया था, लेकिन महापौर निर्मला साबले को छोड़कर किसी अन्य महापौर ने इस निवास का उपयोग नहीं किया। हाल ही में पूर्व महापौर ज्योत्स्ना हसनाले ने भी यहां रहने से इनकार कर इस इमारत को ‘महिला भवन’ में बदलने का निर्णय लिया था। अब, यह इमारत मनपा द्वारा पांच साल के अनुबंध पर एक निजी संस्था को सौंप दी गई है। वर्तमान में मनपा में प्रशासकीय शासन है, इसलिए महापौर निवास स्थान का सवाल नहीं उठता, लेकिन भविष्य में मनपा चुनाव के बाद आने वाले महापौर निवास स्थान की मांग करेंगे, तो मनपा प्रशासन के सामने बड़ी समस्या खड़ी हो सकती है।

मनपा के नाम पर फीस में मामूली छूट
मनपा द्वारा ‘महिला भवन’ की इमारत को जिस निजी संस्था को सौंपा गया है, वह प्रमुख रूप से महिलाओं और युवाओं को रोजगार के लिए कौशल प्रशिक्षण प्रदान करती है। लेकिन, इस प्रशिक्षण के लिए निश्चित शुल्क लिया जाता है। महानगरपालिका की इमारत होने के कारण, स्थानीय महिलाओं को ‘महिला और बालकल्याण विभाग’ की सिफारिश के अनुसार फीस में केवल १० प्रतिशत की मामूली छूट दी जा रही है। पहले यही प्रशिक्षण मनपा द्वारा मुफ्त में दिया जाता था, लेकिन अब महिलाओं को इसके लिए पैसे देने पड़ रहे हैं, जिससे उनमें गहरा असंतोष है।

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