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घाव : कर्ज का मर्ज! … उधारी ने इंजीनियर को बनाया अपनों का बैरी

 जितेंद्र मल्लाह
• पत्नी और बेटे की हत्या के बाद हताशा में दी जान
• भाई की चिंता से खुला हत्या-खुदकुशी का राज

कहते हैं कि जीवन में सफल वही होता है, जो जोखिम मोल लेने की हिम्मत दिखाता है लेकिन ये भी सत्य ही है कि हद से ज्यादा जोखिम उठाना भी कई बार बर्बादी का कारण बन जाता है। पुणे के एक शॉफ्टवेयर इंजीनीयर द्वारा पत्नी व बेटे की हत्या के बाद खुदकुशी की वारदात लोगों को यही सीख देती है। कोरोना काल में नौकरी डांवाडोल हुई तो एक ४४ वर्षीय सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने व्यवसाय शुरू करने का निर्णय लिया लेकिन उसका उक्त निर्णय आत्मघाती सिद्ध हुआ। व्यवसाय में हुए घाटे को पूरा करने के लिए उसे अपनी जान देनी पड़ी लेकिन इससे पहले उसने अपनी पत्नी और बेटे को भी बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया था।
पुणे के लोग बीते बुधवार को उस वक्त अवाक रह गए जब चतुर्शृंगी थाने की पुलिस एक गुमशुदा परिवार की तलाश में औंध क्षेत्र स्थित उस आवासीय इमारत में पहुंची, जहां उक्त गुमशुदा परिवार के लोग रह रहे थे। पुलिस ने डुप्लीकेट चाबी की मदद से दरवाजा खुलवाया तो अंदर का दृश्य रौंगटे खड़े करनेवाला था। कमरे में प्रवेश करते ही परिवार के मुखिया की लाश फांसी के फंदे से लटकती मिली, जबकि उक्त मृतक की पत्नी और बेटे की लाश दूसरे कमरे में पड़ी थी। मृतकों की पहचान सुदिप्तो गांगुली उसकी ४० वर्षीया पत्नी प्रियंका और ८ वर्षीय बेटे तनिष्क के रूप में हुई है। बताया जा रहा है कि सुदिप्तो पेशे से आईटी इंजीनियर थे। वे टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेस (टीसीएस) नामक मशहूर कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर के तौर पर काम करते थे। प्रारंभिक तौर पर पुलिस का अनुमान है कि सुदिप्तो ने पहले अपनी पत्नी और बेटे की हत्या कर बाद में फांसी के फंदे से लटक कर खुद भी खुदकुशी कर ली होगी।
अप्रत्याशित कदम का बड़ा कारण
रोंगटे खड़े करनेवाली उक्त घटना से संबंधित कोई सूसाइड नोट या अन्य सबूत तो पुलिस को अभी तक नहीं मिला है लेकिन परिजनों एवं प़ड़ोसियों से पलिस को इतना जरूर पता चला है कि सुदिप्तो परेशान था। पड़ोसियों और सुदिप्तों के सहयोगी मित्रों ने पुलिस को बताया कि कोरोना काल में लगे लॉकडाउन के दौरान सुदिप्तों ने कुछ नया करने की योजना बनाई। काफी सोच-समझकर उसने ऑनलाइन सब्जी विक्री का कारोबार शुरू करने का मन बनाया। उससे पहले सुदिप्तो ने अपना एक एॅप बनाने की योजना बनाई, जिसके जरिए जल्द से जल्द और ज्यादा से ज्यादा लोगों तक अपना कारोबार पहुंचाने की उसकी योजना थी। उसने एॅप और कारोबार के लिए लोगों से भारी मात्रा में कर्ज ले लिया। लेकिन एॅप और कारोबार की उसकी योजना फेल हो गई और वह कर्ज के बोझ तले दब गया। कर्जदारों का तगादा बढ़ने लगा तो सुदिप्तो ने छुटकारा पाने के लिए खुदकुशी का निर्णय लिया। लेकिन फिर उसे पत्नी और बेटे की चिंता सताने लगी। उक्त चिंता के समाधान के लिए उसने पत्नी और बेटे की हत्या की होगी ऐसा परिजन और दोस्तों का अनुमान है।
प्लास्टिक की थैलियों से घोंटा पत्नी और बेटे का गला
बताया जा रहा है पुलिस ने जब प्रियंका और तनिष्क के शवों को अपने कब्जे में लिया तो उनके सिर पर प्लास्टिक की थैली पहनाई हुई मिली। इससे अनुमान लगाया जा रहा है कि सुदिप्तो ने सोते समय प्रियंका और तनिष्क के सिर पर बारी-बारी से प्लास्टिक थैली पहनाकर उनकी गर्दन दम घुटने तक दबाए रखी होगी। बाद में उसने खुद भी फांसी लगा ली होगी। हालांकि पुलिस को मौके से कोई सूसाइड नोट नहीं मिला है।
चिंतित भाई ने दी थी पुलिस को सूचना
दिल्ली की श्रद्धा वालकर और दक्षिण मुंबई स्थित कालाचौकी वीणा जैन की तरह सुदिप्तो और उसकी पत्नी और बेटे की मौत से भी लोग महीनों तक अनजान रहे होते, यदि बंगलुरु में रहनेवाले सुदिप्तो के भाई ने उनकी फिक्र नहीं की होती। बताया जा रहा है कि कई बार प्रयास करने के बाद भी भाई का सुदिप्तो से संपर्क नहीं हुआ तो उसने सुदिप्तो के एक सहकर्मी दोस्त को पहले उसके घर भेजा फिर पुलिस थाने भेजा था। पुलिस ने गुमशुदगी का मामला दर्ज करके जांच शुरू की तो सुदिप्तो के मोबाइल की लोकेशन उसके घर में ही मिली। लोकेशन मिलने के बाद पुलिस सुदिप्तो के घर पहुंची और डुप्लिकेट चाबी से ताला खुलवाया था।

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