मुख्यपृष्ठनमस्ते सामनागजल : मेरे दिल को जगमगा गया कोई

गजल : मेरे दिल को जगमगा गया कोई

सियाह दिल को मिरे जगमगा गया कोई‌
अंधेरे कमरे में दीपक जला गया कोई

लिखा है दिल के वरक़ पर अगर मिरा ही नाम,
तो क्यूॅं तेरे लबों पर नाम आ गया कोई

कभी मिली ही नहीं इश्क़ की रहे-मंज़िल
वफ़ा के मोड़ पे दामन छुड़ा गया कोई ll

न मेरी शक्ल उसे और न मैं ही याद रही,
मेरी तलाश में मुझको भुला गया कोई।

मिरी तमन्ना की ऑंखों में ख़्वाब कोई नहीं
हिसारे-क़ब्र में जैसे सुला गया कोई ll

हमारी ऑंख से ऑंसू नहीं निकलते अब
न पूछ हमसे के कितना रुला गया कोई

सफ़र था धूप का तन्हा मैं चल रही थी कनक
के बन के छांव सा जीवन में आ गया कोई

डॉ कनक लता तिवारी

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