विक्रम भट्ट निर्देशित सस्पेंस हॉरर फिल्म ‘१९२०’ से हिंदी फिल्मों में अपने करियर की शुरुआत करनेवाली अदा शर्मा ने साउथ की फिल्मों में भी उड़ान भरी। इसके बाद अदा साउथ और हिंदी फिल्मों में नजर आने लगीं। लेकिन पिछले एक वर्ष से अदा लगातार ‘द- केरला स्टोरी’, ‘बस्तर’ और अब ‘सनफ्लावर’ से सुर्खियों में हैं। पेश है, अदा शर्मा से पूजा सामंत की हुई बातचीत के प्रमुख अंश-
फिल्म ‘द- केरल स्टोरी’ अब डिजिटली ‘जी फाइव’ पर रिलीज हुई है। क्या कहना चाहेंगी?
ओटीटी एक ऐसा माध्यम है जहां ऐसी फिल्में भी दर्शकों तक पहुंच सकती हैं, इतना ही कहना चाहूंगी। वरना ‘द- केरला स्टोरी’ जैसी फिल्म सारे दर्शकों तक नहीं पहुंच पाती। एक एक्टर होने के नाते उन रियल किरदारों को निभाना मेरा फर्ज बनता है, शायद मेरी जगह कोई और होता तो क्या शालिनी उन्नीकृष्णन का किरदार नहीं निभाती? मैं अपनी हर फिल्म या ओटीटी के प्रोजेक्ट्स के लिए उतनी ही मेहनत करती हूं, मेरे लिए किरदार और कई बार किरदार के पीछे का हिडन मैसेज मायने रखता है।
सुनील ग्रोवर के साथ काम करने का कैसा अनुभव रहा?
सुनील ग्रोवर एक सीजन्ड एक्टर बन चुके हैं। वो इतने फनी हैं कि खुद को सीरियसली नहीं लेते। हर शॉट में उनके एक्सप्रेशंस में एक नयापन होता है, ‘सनफ्लावर’ सीजन-१ को काफी पसंद किया गया। लिहाजा, सीजन-२ बना। सुनील ग्रोवर से काफी कुछ सीखने को मिला। खासकर कॉमेडी की टाइमिंग के बारे में।
‘सनफ्लॉवर’ सीजन-१ और २, ‘द- केरल स्टोरी’, ‘बस्तर’ की लगातार रिलीजेस से आप सुर्खियों में रहीं। इस दौरान आपको क्या मुश्किलें आईं?
यह चैलेंजिंग रहा है, लेकिन इन सभी विरोधाभास वाले प्रोजेक्ट्स में मैंने अपने आपको बेहद एन्जॉय किया। वेब शो ‘सनफ्लावर’ के दोनों सीजन ने धूप के बाद ठंडी छांव का एहसास दिया। ‘द- केरला स्टोरी’, ‘बस्तर’, ‘कमांडो’ इन सभी के जॉनर बहुत भिन्न हैं। ‘कमांडो’, ‘बस्तर’ में एक्शन सीक्वेंस करने का मौका मिला, जबकि ‘द- केरला स्टोरी’ एक रियलिस्टिक फिल्म थी। एक सुन्न करने जैसा अनुभव रहा। एक्टर हूं इसलिए हर टाइप की फिल्में और किरदार करना चाहती हूं। तकरीबन १५ वर्षों बाद मुझे सीरियसली लिया जा रहा है। विभिन्न टाइप के प्रोजेक्ट्स में काम करने का मौका मिल रहा है।
‘द- केरला स्टोरी’ और ‘बस्तर’ के लिए आपको धमकियां तक मिलीं। इन घटनाओं से आप कितनी विचलित हुईं?
‘द- केरला स्टोरी’ का ट्रेलर रिलीज होते ही मुझे धमकियां मिलने लगीं। जब फिल्म ‘बस्तर’ का ट्रेलर लॉन्च हुआ तो ऐसा ही मामला फिर हुआ। लेकिन मैंने किरदारों को कन्विक्शन के साथ निभाया, यह मेरा दोष नहीं है। मैंने नेचुरल एक्टिंग की, किरदारों को न्याय दिया। लेकिन मैं किसी भी धमकी से विचलित नहीं हुई। सहज एक्टिंग के लिए मुझे कॉम्प्लिमेंट्स मिलती रही। समाज में जो घट चुका है उसे पर्दे पर दिखाना यह कलाकारों का दोष तो नहीं है ना?
लगातार हैवी फिल्मों को करने के बाद आप खुद में कैसे ताजगी लागी हैं?
एक्टिंग करने में मुझे मजा आता है। एक लंबे इंतजार के बाद मुझे डिफरेंट जॉनर की फिल्में मिल रही हैं, जिनमें अलग कॉन्टेंट हैं। किरदारों की रियलिटी मेरे लिए मायने रखती है। उसे निभाना दिल की गहराई से निकलने वाला एहसास है और अनुभव है। यही अलग-अलग अनुभव मुझे आत्मसंतुष्टि देते हैं। ऐसे डार्क किरदार निभाने का मुझ पर कोई ‘डार्क अनुभव’ नहीं होता। मैं किरदारों की इन प्रोसेस को एन्जॉय करती हूं। मैं हैवी कॉन्टेंट वाली फिल्मों से नहीं थकती। इनमें कुछ फिक्शन तो कुछ रियलिटी बेस्ड होती हैं।
आपके जीवन और करियर में मां का कितना प्रभाव रहा?
मेरा पूरा जीवन और करियर अपनी मां और दादी के इर्द-गिर्द घूमता रहा। दोनों मेरे लिए बहुत स्पेशल रही हैं। दोनों की सोच बहुत ज्यादा सकारात्मक रही है। दादी ९० पार कर चुकी हैं, लेकिन बहुत एक्टिव हैं। वो बच्चों को पढ़ाती हैं, खाना बनाती हैं और मेरे वीडियोज बना-बनाकर सोशल मीडिया पर वही पोस्ट करती हैं। मेरी मां (शीला शर्मा) खुद एक बेहतरीन डांसर, जिम्नैस्ट और योगा गुरु हैं। मां गजब की मलखंभ एक्सपर्ट हैं और कई पुरस्कार पा चुकी हैं। मां से मैं ३ वर्ष की उम्र से कत्थक सीख रही हूं। एडवांस कत्थक मैंने गोपीकृष्ण से सीखा। मैंने कत्थक में ग्रेजुएशन किया। सच कहूं तो मुझे आज की अदा शर्मा मां और दादी-नानी ने बनाया। अगर इनका गाइडिंग फोर्स न होता तो मेरे लिए कुछ भी संभव नहीं था। उनके मार्गदर्शन की वजह से मैं ‘रियल व्यक्ति’ बन पाई, जिसकी मुझे खुशी है। बारहवीं के बाद मैंने ऑडिशन देना शुरू किया और अनगिनत बार मुझे ‘नो’ सुनना पड़ा। मैं ऑडिशन में लगातार फेल होती रही। मेरे भीतर अभिनय की आत्मा है यह ज्योति मां ने मुझ में जगाए रखी और आज मैं आपके सामने हूं।