जमीन व मकान की रंजिश को लेकर हुई थी हत्या
जौनपुर। कोतवाली थाना क्षेत्र के शाही पुल के पास 29 वर्ष पूर्व बम से मारकर अपने बड़े पिता अबुल हसन की हत्या करने के दोषी फकरे आलम को जिला जज वाणी रंजन अग्रवाल ने आजीवन कारावास व 25000 रुपए अर्थदंड की सजा सुनाया। अर्थदंड अदा न करने पर 2 वर्ष अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतनी होगी।अबुल हसन निवासी नक्खास थाना कोतवाली ने कोतवाली थाने में जुबानी सूचना पंजीकृत कराया था। अभियोजन के अनुसार उसकी जमीन और मकान के फ्लोर के बाबत उसके सगे भाई मकबूल व उनके लड़के फकरे आलम से रंजिश चली आ रही थी और यह लोग उसे जान से मार डालना चाहते थे। 16 सितंबर 1995 को मृतक चहारसू से पैदल अपने घर जा रहा था। जब वह शाही पुल के पास राजपूत कोठी के सामने करीब 10:15 बजे रात पहुंचा कि तभी सड़क के बाएं तरफ घात लगाकर बैठे उसके भाई मकबूल, मकबूल का पुत्र फकरे आलम व उनका साथी ओमप्रकाश अपने हाथों में देसी बम व बांका लेकर जान से करने के लिए दौड़े।मृतक अपनी जान बचाने के लिए भागा मकबूल व फकरे आलम ने उस पर बम से हमला कर दिया जिससे वह घायल होकर सड़क पर गिर गया। ओमप्रकाश ने बांका से प्रहार किया। उसके शोर पर व बमों की आवाज सुनकर पुलिस वाले मौके पर आए। तीनों आरोपी भाग गए। पुलिस वाले अबुल हसन को लादकर थाने ले गए। उसके बाद सदर अस्पताल ले गए ।वहां से प्राथमिक उपचार के बाद उसे वाराणसी रेफर किया गया। दूसरे दिन दौरान उपचार अबुल हसन की मृत्यु हो गई। पुलिस ने कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की। डीजीसी सतीश पांडेय एवं राजनाथ चौहान ने गवाहों को परीक्षित कराया। दो आरोपियों की दौरान मुकदमा मृत्यु हो गई।कोर्ट ने मृतक के मृत्यु पूर्व बयान को दो सिद्धि का आधार माना। दोनों पक्षों की दलील सुनने एवं समस्त साक्ष्यों का परिशीलन करने के बाद आरोपी फकरे आलम को हत्या के जुर्म में दोषी पाते हुए सजा सुनाया।