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बिहार में सरकारी बाबू अपने भाड़े के लोगों से अपना काम करवाते हैं…परिवहन अधिकारी का मोबाइल और कागजात जब्त

अनिल मिश्र / पटना

बिहार का नाम जेहन में आते ही एक नए तरह का विचार लोगों में आने लगता है। कारण जो भी हो, सकारात्मक या नकारात्मक। दोनों में ही लोगों के दिमाग की बत्ती जल जाती है। दरअसल, बिहार के लोग जहां मेहनती तो होते ही हैं, लेकिन अपने कारनामों से भी खबरों की दुनिया में खलबली मचाते रहते हैं। यहां के लोग अपने कारनामों से जग जाहिर तो होते ही हैं। वहीं अपने नए प्रयोग के लिए भी ज्यादा जाने जाते हैं। बात बिहार की हो और भ्रष्टाचार की न हो, तो ये बेईमानी होगी। जहां नब्बे के दशक से दो हजार नौ तक बिहार को जंगलराज का दौर राष्ट्रीय जनता दल के विपक्षी लोग कहा करते हैं, वहीं दो हजार दस से सुशासन बाबू सत्ता में हैं। बिहार में नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री बनने के बाद यहां के लोगों को एक नई उम्मीद जगी। नीतीश कुमार इसमें खरे उतरे, लेकिन बिहार में कथित जंगलराज से मुक्ति के बाद भी यहां के आमलोगों को सरकारी बाबुओं और कर्मचारियों से कोई खास लाभ नहीं मिल पा रहा है। अभी आलम यह है कि सभी सरकारी संस्थाओं में बिना रिश्वत दिए हुए काम नहीं हो रहा है। पहले आम लोग सिर्फ पुलिस विभाग पर बिना रिश्वत लिए कोई भी काम नहीं होने का आरोप लगाते थे, लेकिन अब सरकारी अस्पताल, बैंक, अंचल कार्यालय से लेकर जिलाधिकारी कार्यालय तक रिश्वत दोगुनी देना पड़ रहा है। जहां सरकारी अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक पैसा उगाही करने के लिए अपने भाड़े के आदमी रखे हुए हैं। इस भाड़े के आदमी ही अंचल कार्यालय से लेकर जिलाधिकारी कार्यालय तक अपनी पैठ बनाए हुए हैं। इन्हीं की रहमोकरम पर पूरा सिस्टम चल रहा है। वहीं सरकारी बाबुओं और कर्मचारियों को कोई भी काम के लिए इन्हें ही आगे करके अपना ड्यूटी का निर्वहन कर रहे हैं। बिहार में भ्रष्टाचार की सीमा नए-नए मुकाम हासिल कर चुकी है। अधिकारी इतने भ्रष्ट हो चुके हैं कि वो अब अपने सरकारी काम करने के लिए भी भाड़े के आदमी रख चुके हैं। ऐसा ही एक मामला बिहार के पश्चिमी चंपारण जिले में सामने आया है। बिहार में गाड़ियों की फिटनेस जांच का काम मोटर यान निरीक्षक के जिम्मे है, लेकिन पश्चिम चंपारण के मोटर यान निरीक्षक खुद जांच नहीं करते, बल्कि इस काम के लिए वो भाड़े पर आदमी रखे हुए हैं। एमवीआई अपना सरकारी मोबाइल तक भाड़े के आदमियों के जिम्मे सौंप रखा है। पश्चिम चंपारण के जिलाधिकारी दिनेश कुमार राय ने जब छापेमारी की तो इस खेल का खुलासा हुआ है।
दरअसल, कल बेतिया के आईटीआई के मैदान में वाहनों के फिटनेस जांच के दौरान जिलाधिकारी दिनेश कुमार राय अचानक पहुंच गए। जिलाधिकारी ने पाया कि मोटरयान निरीक्षक की जगह उनके दो खास लोग आधिकारिक रूप से वाहनों की जांच कर रहे हैं। राजू कुमार सिंह और राजीव कुमार मिश्र को तत्काल हिरासत में लिया गया है। उनके पास से एमवीआई अनूप कुमार सिंह का सरकारी मोबाइल सहित चार अन्य मोबाइल फोन और वाहनों के फिटनेस जांच से संबंधित भारी संख्या में कागजात बरामद की गई है। मौके से एक बोलेरो व एक बाइक जब्त भी जब्त किया गया है। पश्चिम चंपारण के डीएम दिनेश कुमार राय के निर्देश पर पकड़ गए राजू कुमार सिंह और राजीव कुमार मिश्र को मुफस्सिल पुलिस के हवाले कर दिया गया है। इस मामले में डीटीओ अरुण प्रकाश ने दोनों के विरुद्ध मुफस्सिल थाने में एफआईआर दर्ज कराई है। बताया जाता है कि डीएम को शिकायत मिली थी कि वाहनों का फिटनेस जांच और ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने में दलाल सक्रिय हैं। डीटीओ कार्यालय में दलालों के मार्फत ही काम हो रहा है। शिकायत के आलोक में डीएम दलबल के साथ अचानक आईटीआई पहुंच गए। वहां वाहनों का फिटनेस जांच हो रहा था। डीएम को देखते ही हड़कंप मच गया। दलाल इधर-उधर भागने लगे, लेकिन एमभीआई के करीबी दो दलालों को पकड़ लिया गया। इस संबंध में पत्रकारों से बात करते हुए डीएम दिनेश कुमार राय ने बताया कि लगातार शिकायत मिल रही थी कि एमवीआई अनूप कुमार सिंह लगातार गायब रहते हैं। वो अपने आदमियों के माध्यम से लोगों का शोषण हो रहे हैं, जिसको लेकर छापेमारी की गई है। छापेमारी के दौरान दो लोगों को पकड़ा गया है। कुछ फरार हो गए हैं।पकड़े गए लोगों के पास एमवीआई सरकारी मोबाइल सहित चार मोबाइल, वाहनों के भारी फिटनेस के कागजात जब्त की गई है। दो वाहन जब्त किया गया है। पूरे मामले की जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होगी।

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