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हड़ताल से बेहाल सरकारी अस्पताल! … ओपीडी सेवाओं पर पड़ा असर

• मनपा अस्पतालों से लेनी पड़ी मदद
धीरेंद्र उपाध्याय / मुंबई
पुरानी पेंशन योजना को तत्काल लागू करने की मांग को लेकर कल से राज्य भर के सरकारी और अर्ध सरकारी कर्मचारी, शिक्षक व गैर शिक्षक संघ हड़ताल पर चले गए हैं। इस हड़ताल ने सरकारी अस्पतालों को बेहाल कर दिया है। मुंबई में राज्य सरकार द्वारा संचालित अस्पतालों में जहां आउट पेशेंट विभाग की सेवाएं सुचारु रूप से शुरू थीं, वहीं इनपेशेंट विभाग और सर्जरी पर कुछ हद तक असर पड़ा। मरीजों को किसी भी परेशानी का सामना न करना पड़े इसलिए जेजे अस्पताल ने मनपा अस्पतालों के स्वास्थ्यकर्मियों का सहारा लिया।
राज्य कर्मचारी संघ द्वारा शुरू हड़ताल में राज्य सरकार के अस्पतालों में कार्यरत नर्सों, तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के स्वास्थ्य कर्मचारियों ने भी हिस्सा लिया है। इन स्वास्थ्य कर्मियों के हड़ताल में शामिल होने से मुंबई के जेजे, कामा, जीटी, सेंट जॉर्ज अस्पताल के इनपेशेंट विभाग में मरीजों की देखभाल प्रभावित हुई है। हालांकि, आउट पेशेंट विभाग में विभाग प्रमुखों, प्रोफेसर, रेजिडेंट डॉक्टर मरीज की सुचारू देखभाल सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे थे। हड़ताल के चलते ओपीडी में खासी भीड़ रही। बताया गया कि जेजे अस्पताल के ५० कर्मचारियों ने हड़ताल में हिस्सा नहीं लिया। इसी तरह अन्य अस्पतालों के कुछ कर्मचारियों ने हड़ताल में भाग नहीं लिया। इसके चलते आउट पेशेंट और गहन देखभाल इकाइयों में सेवाएं ज्यादा प्रभावित नहीं हुर्इं।
आगे खिसकाई गई कई सर्जरी
सेंट जार्जेस, कामा अस्पताल में केवल अत्यावश्यक सर्जरियां की गर्इं, जबकि अन्य सभी सर्जरियों को आगे खिसका दिया गया। डीन डॉ. पल्लवी सापले ने कहा कि जेजे अस्पताल में कल ओपीडी में इलाज कराने के लिए २,००० मरीज पहुंचे। इसके साथ ही यहां पहले से तय सभी सर्जरियां हुर्इं। उन्होंने कहा कि जेजे में ४५० प्राध्यापक, ८०० पीजी छात्र, १,२०० एमबीबीएस के छात्र और २५० इंटर्न डॉक्टर मरीजों को सेवाएं दे रहे थे। इसके साथ ही स्टूडेंट नर्सेस और १०० कॉन्ट्रैक्ट बेसिस पर कार्यरत कर्मियों की मदद ली गई। उन्होंने कहा कि हड़ताल से हो रही दिक्कतों को देखते हुए सेंट जार्जेस से ३८, कामा और जीटी अस्पताल से क्रमश: १००-१०० मरीजों को छुट्टी दे दी गई। डॉ. सापले ने कहा कि फिलहाल कल की परिस्थितियों का नियोजन करने के लिए मीटिंग हुई है।
मनपा अस्पतालों से ली जा रही मदद
मनपा अस्पतालों की निदेशिका डॉ. नीलम अंद्राडे ने कहा कि मुंबई में राज्य सरकार द्वारा संचालित अस्पतालों में हड़ताल का असर पड़ा है। ऐसे यहां मरीजों को होनेवाली परेशानियों से बचाने के लिए मनपा अस्पतालों में कार्यरत नर्सों और स्वास्थ्य कर्मियों को भेजा जा रहा है। उन्होंने कहा कि कल सायन अस्पताल के ३० नर्सों और १५ से ३० स्वास्थ्य कर्मियों को मदद के लिए जेजे अस्पताल में भेजा गया था। आगे भी जरूरत पड़ने पर आवश्यकतानुसार स्वास्थ्य कर्मी सरकारी अस्पतालों में भेजे जाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि मुंबई में मनपा के यूनियन इस हड़ताल में शामिल नहीं हैं।
भर्ती मरीजों को हुई परेशानी
सरकारी अस्पतालों में वरिष्ठ चिकित्सकों के सहयोग से ओपीडी के कार्य को सुचारू रूप से चलाने का प्रयास किया गया। लेकिन अस्पताल में मरीजों का इलाज बुरी तरह प्रभावित हुआ है। क्लर्क, वार्डबॉय, नर्स, दाइयों और अन्य कर्मचारियों के हड़ताल पर होने के कारण भर्ती मरीजों को परेशानी हुई। अस्पताल के एक्स-रे, सोनोग्राफी, ब्लड टेस्ट और अन्य मेडिकल जांचें भी प्रभावित हुर्इं। इस बीच जेजे अस्पताल में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी संघ के अध्यक्ष काशीनाथ राणे ने दावा किया कि हड़ताल १०० प्रतिशत सफल रही है।

उद्धव ठाकरे का आभार
पुरानी पेंशन योजना लागू करने की मांग के लिए आंदोलन करनेवाले अध्यापकों और कर्मचारियों को राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री व शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के पक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे ने समर्थन दिया है। इसके लिए सभी हड़ताली कर्मचारियों ने उद्धव ठाकरे का आभार माना है। शिवसेना समर्थित महाराष्ट्र शिक्षक सेना के भी हड़ताल में शामिल होने की जानकारी अध्यक्ष ज. मो. अभ्यंकर ने दी। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों की पुरानी पेंशन योजना लागू हो, इसके लिए उद्धव ठाकरे आग्रही हैं। योजना को लेकर सविस्तार जानकारी उन्होंने ली है।

बोर्ड परीक्षा पर हड़ताल का नहीं पड़ा विघ्न
पुरानी पेंशन योजना की मांग को लेकर राज्य के स्कूलों और जूनियर कॉलेजों के अध्यापक भी हड़ताल में शामिल हुए हैं, जिसका मुंबई और आस-पास के परिसरों में मिला-जुला असर रहा। हालांकि, १०वीं और १२वीं के छात्रों का नुकसान न होने पाए, इसके लिए परीक्षा के कामकाज करते दिखे। फिलहाल, अभी भी शिक्षकों का पेपर जांच पर बहिष्कार कायम है। अनुदानित और अल्प अनुदानित स्कूलों के अध्यापक बड़ी संख्या में शामिल हुए, जिस कारण ये स्कूल बंद थे। हालांकि, गैर अनुदानित, कॉन्वेंट और कॉलेज पूरी तरह से शुरू थे।

 

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