सामना संवाददाता / मुंबई
ईडी सरकार के सत्ता में आने के बाद से सिडको को लेकर जो नीति बनाई है, उसके कारण सिडको खत्म होने की स्थिति में पहुंच गई है। इस तरह की चर्चा परियोजना प्रभावित लोगों में छाई हुई है। विधानसभा चुनावों की पृष्ठभूमि में, परियोजना पीड़ितों के आवासीय उपयोग को विनियमित करने की राज्य सरकार की योजना पर नई मुंबई में परियोजना पीड़ितों के बीच चर्चा छिड़ गई है। नई मुंबई में गैर-परियोजना पीड़ितों को पट्टा देकर नई मुंबई में गावठण सीमा से २५० से ३०० वर्गफुट राज्य सरकार सिडको के माध्यम से पट्टे लगाकर परिधि में गैर-परियोजना पीड़ितों के अतिक्रमण को नियमित कर रही है, तो नई मुंबई शहर में अन्य अतिक्रमणों को भी नियमित करने की मांग राज्य सरकार द्वारा उठाई जा रही है।
आवश्यकतानुसार निर्माणाधीन भूमि संबंधित व्यक्तियों को अनुज्ञेय शुल्क पर ६० वर्ष की लीज पर आवंटित की जाएगी। उसमें परियोजना पीड़ितों एवं उनके उत्तराधिकारियों द्वारा २५ फरवरी २०२२ तक निर्मित निर्माण एवं गैर परियोजना पीड़ितों द्वारा कट-ऑफ तिथि तक किए गए निर्माणों को सरकार की नीति के अनुसार पट्टा लगाकर नियमित किया जाएगा। सिडको ने स्पष्ट किया है कि इसका मतलब यह है कि किसी को सपने में भी नहीं सोचना चाहिए कि इस जमीन पर निर्माण को नियमित कर दिया गया है या उन्हें विनियमित किया गया है। इस योजना में भूमिधारक पट्टे की भूमि का सामूहिक अथवा स्वतंत्र रूप से क्लस्टर विकास योजना के तहत विकास कर सकेंगे।
सिडको की जमीन पर अतिक्रमण और लीज लगाकर इन निर्माणों को नियमित करने से सिडको का अस्तित्व ही कमजोर हो जाएगा। पहले से शुरू की गई विभिन्न परियोजनाओं के कारण सिडको का खजाना मजबूत हुआ है।