मनमोहन सिंह
मुंबई की बात करें तो पिछले कुछ वर्षों से मुंबईकरों को गर्मी के चटके लगने लगे हैं, जो कि मुंबईकरों के लिए, जो दशकों से यहां पर रह रहे हैं एक नया एहसास है। हालांकि, महाराष्ट्र के कई हिस्सों में गर्मी से तकलीफ कोई नई बात नहीं। मुंबई और आस-पास के इलाकों में हालात इस तरह के बन गए कि सरकार को हीट वेव्स से पीड़ित लोगों के लिए अस्पताल में अलग इंतजाम करने पड़े। कई लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा। उत्तरी भारत के हालात इस कदर खराब हो चुके हैं कि लंबी गर्मी जानलेवा बनती जा रही है। रिपोर्ट बताती है कि यह हीट वेव पिछले १५ सालों में सबसे ज्यादा खतरनाक हो गई है।
देश के कुछ राज्यों में दिन का न्यूनतम तापमान लगातार ४५ डिग्री सेल्सियस से ऊपर बना हुआ है। इतना ही नहीं, बल्कि अपेक्षाकृत ठंडे राज्यों में इस वक्त सामान्य तापमान से कम से कम ३ डिग्री -६ डिग्री सेल्सियस अधिक है। रात की बात करें तो तापमान भी लगातार सामान्य से ३-६ डिग्री सेल्सियस ऊपर बना हुआ है। इसकी वजह है बारिश की बेरुखी और उसके चलते नमी की कमी।
मौसम विभाग का कहना है कि मानसून सुस्त हो गया है। जल्दी शुरुआत के बाद मानसून १२ जून से रुका हुआ है और मध्य भारत में रुका हुआ है। हालांकि, केरल में इसकी शुरुआत से पहले भारत मौसम विज्ञान विभाग ने भारत में जून में बारिश सामान्य होने का अनुमान लगाया था। अब इसने अपडेट किया है कि अनुमान सामान्य से नीचे है या मात्रात्मक दृष्टि से महीने की अपेक्षित मात्रा १६.६९ सेमी से न्यूनतम ८ प्रतिशत की कमी है। अब जब यह मानसून की प्रगति की जानकारी नहीं देता रहा है, अपडेट कोई मायने नहीं रखता।
उत्तर-पश्चिमी और उत्तरी राज्यों में मानसून के आगमन की सामान्य तारीखें २५ जून से १ जुलाई तक की है। अगर मौजूदा मानसून और लंबा खींचता है तो इस लंबे अंतराल का मतलब इन राज्यों में बुनियादी ढांचे पर और भी अधिक भार हो सकता है।
गौरतलब है कि १७ जून को बिजली मंत्रालय ने कहा कि उत्तरी भारत में बिजली की मांग एक दिन में सबसे अधिक ८९ गीगावॉट (८९,००० मेगावाट) तक बढ़ गई थी। इस बिजली की आवश्यकता को पूरा करने के लिए लगभग २५-३० प्रतिशत को अन्य चार क्षेत्रों – दक्षिण, पश्चिम, पूर्व, उत्तर-पूर्व और संभवत: भूटान से आयात करना पड़ा। सटीक ब्रेक-अप प्रदान नहीं किया गया था। मंत्रालय भले अपनी पीठ ठोक ले, लेकिन पता चल जाता है कि उसकी औकात क्या है। उत्तरी भारत में स्थापित बिजली क्षमता ११३ गीगावॉट (१,१३,००० मेगावाट) है और अगर उत्तरी ग्रिड को अभी भी बिजली आयात करने की आवश्यकता है। उसी दिन दिल्ली के इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर आधे घंटे का ब्लैकआउट हो गया और इसका कारण यह है कि लंबे समय तक चलने वाली गर्मी और ठंडक की मांग ग्रिड पर और दबाव डालेगी ही। गर्मी के चलते दिल्ली में जल संकट भी पैदा हो गया है। बेशक बढ़ती गर्मी से पानी की मांग का बढ़ना लाजिमी भी है। दिल्ली के लिए पानी का एक प्रमुख स्रोत, हरियाणा ने अपनी बाधाओं का हवाला देते हुए आपूर्ति बढ़ाने से इनकार कर दिया है। आम आदमी पार्टी का आरोप है कि हरियाणा जानबूझकर दिल्ली में उनकी छवि खराब करने की कोशिश कर रहा है।
फिलहाल, कुछ चीजों पर गंभीरतापूर्वक सोचने का वक्त आ गया है, क्योंकि मौसम पर किसी का वश नहीं चलेगा।
ग्लोबल वॉर्मिंग की एक अलग चुनौती है। गर्मी बढ़ती ही चली जाएगी, उससे होने वाली तकलीफें भी बढ़ती ही चली जाएंगी। ऐसे में ग्रामीण इलाकों के साथ-साथ शहरी इलाके भी चपेट में आएंगे। हालांकि, सबकी दिक्कतें अलग-अलग होंगी। यह बात समझ से परे है कि राजनीतिक उठापटक में मशरूफ केंद्र सरकार इस मसले को हल्के से क्यों ले रही है? क्यों नहीं इसे भी प्राकृतिक आपदा के रूप में स्वीकार कर इसका दीर्घकालीन हल खोजने की दिशा में कदम बढ़ाने की सोच रखती है?