आम लोगों की पार्टी होने का दावा करनेवाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) असल में बिल्डर और बिजनेसमैन यानी कारोबारी लोगों की पार्टी है। ऐसा आरोप अक्सर लगता रहा है। पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्ववाली सरकार के बीते ९ वर्षों के कार्यकाल में ये लगभग साफ भी हो ही चुका है। मोदी सरकार द्वारा गरीबों के हित का झांसा देकर कई योजनाएं सामने लाई गईं लेकिन उनका गरीबों को कितना लाभ मिला, ये पूरा देश जानता है।
बात अच्छे दिनों के उस वादे से शुरू करते हैं, जो मोदी और उनकी भाजपा ने २०१४ में केंद्र की सत्ता में आने से पहले किया था। विदेशों में जमा काला धन वापस लाकर हर नागरिक के खाते में १५ लाख रुपए डालने का सपना दिखाया गया। इसके अलावा हर साल लाखों बेरोजगारों को रोजगार, सस्ता पेट्रोल-डीजल, रसोई गैस का झांसा दिया गया। लेकिन वैसा कुछ हुआ नहीं। मोदी सरकार ने सब्सिडी सीधे खाते में भेजने के बहाने लोगों का जनधन खाता खुलवाया लेकिन सब्सिडी बंद कर दी। डिजिटल इंडिया का सपना दिखाकर लोगों को यूपीआई आदि की लत लगाई। उसी दौरान नोटबंदी का नया भ्रम जाल फैलाकर मध्यम वर्गीय, गरीब परिवारों द्वारा आड़े वक्त के लिए घरों में ‘छिपा’कर रखी गई जमापूंजी तक निकलवा ली गई। बैंकों में जमा लोगों की मेहनत की कमाई कई शातिर ठगों के पास कारोबार के लिए कर्ज के रूप में पहुंच गई। उन ठगों में शामिल कुछ ठग कर्ज का पैसा हजम करके विदेश भाग गए तो कई ऐसे भी हैं, जो कुछ हिस्सा अधिकारियों एवं सरकार में शामिल लोगों को देकर यहीं इत्मीनान से रह रहे हैं। सरकार बाद में उनके कर्ज की रकम को बट्टे खाते में डाल कर राइट ऑफ करती रही है अर्थात डूबी हुई रकम घोषित कर रही है। वहीं आम लोगों ट्रांजेक्शन पर, बैंकों में जमा / निकासी पर शुल्क भरने की नौबत आ रही है।
केंद्र सरकार ने गरीबों के लिए कुछ नहीं किया, ऐसा नहीं है। सरकार ने बहुत कुछ किया है लेकिन अडानी जैसे कुछ गरीबों के लिए। उन्हें विश्व का तीसरा सबसे अमीर कारोबारी बना दिया। एयरपोर्ट, बंदरगाह, सीमेंट यूनिट, कोयले की खान जैसे तमाम लाभकारी संस्थान अडानी को दे दिए गए। सेना में अग्निवीर जैसी योजना लाकर तथा रेलवे सहित कई दूसरे संस्थानों का निजीकरण करके लाखों करोड़ों बेरोजगार युवकों के सरकारी नौकरी के सपनों को तोड़ने का काम मोदी सरकार कर रही है। सरकार ने रेलवे में वरिष्ठ नागरिकों सहित कई अन्य श्रेणियों में दी जाने वाली सब्सिडी बंद कर दी। टिकट खरीदकर लंबी दूरी की ट्रेनों में सफर करने के लिए रेलवे टर्मिनस पर वाहनों में आने वाले यात्रियों से अब टर्मिनस में प्रवेश के लिए अवैध टोल टैक्स वसूला जा रहा है। रसोई गैस पर मिडल क्लास को मिलने वाली सब्सिडी बंद कर दी गई। पहले राशन पर मिलने वाले डेढ़, ढाई सौ रुपए के जिस मिट्टी के तेल से लोगों का चूल्हा महीने भर आराम से चलता था। सरकार ने उज्ज्वला योजना के तहत उन सभी को रसोई गैस की लत लगाकर राशन पर मिट्टी के तेल की आपूर्ति बंद कर दी और बाद में रसोई गैस सिलिंडर के दाम ४५० रुपए से बढ़ाकर १,१०० रुपए तक बढ़ा दिए।
लत लगाकर लूटने का कुछ ऐसा ही खिलवाड़ मोदी सरकार मोबाइल उपभोक्ताओं के साथ भी कर रही है। यूपीए यानी पीएम मनमोहन सिंह की सरकार के समय तक जो टेलीफोन रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (ट्राई) मोबाइल कंपनियों पर शुल्क घटाने का दबाव बनाती थी। नतीजतन मोबाइल उपभोक्ताओं को अलग-अलग ऑफर मिलते थे। उस दौरान सस्ता कॉल रेट और डाटा का लोगों ने जमकर लुत्फ उठाया था लेकिन सरकार बदलते ही ट्राई की सोच बदल गई। मोदी सरकार के शासनकाल में ट्राई बेबस नजर आ रही है। अब मोबाइल का रिचार्ज लगातार महंगा होता जा रहा है। नतीजतन पहले जो लोग दो-दो मोबाइल फोनों में ३ से ४ नंबर (सिम कार्ड) तक इस्तेमाल करते थे, अब उनमें से ज्यादातर लोगों के लिए एक सिम कार्ड चलाना भी मुश्किल हो गया है। लेकिन मजबूरी में वे किसी तरह मोबाइल का इस्तेमाल कर रहे हैं। ज्यादातर लोग तो लत लगने से मोबाइल पर बुरी तरह निर्भर हो चुके हैं और अब वे चाह कर भी खुद को लुटवाने से रोक नहीं पा रहे हैं।