-एक लाख किसानों को नजरअंदाज करने का जोखिम उठाना चाहती है सरकार
सामना संवाददाता / मुंबई
किसानों का हक मारकर चुनावी रेवड़ी बांटने वाली ईडी सरकार के पास ‘लाडली’ बहन योजना के लिए पैसे का जुगाड़ नहीं हो रहा है। यही कारण हे कि एक लाख किसानों को नजरअंदाज करने का जोखिम सरकार उठाना चाहती है। बता दें कि रक्षाबंधन के मौके पर मुख्यमंत्री राज्य की चहेती बहनों को सब्सिडी की पहली किस्त देना चाहते हैं, लेकिन खजाने में पैसे की कमी के कारण वित्त विभाग ने सभी फाइलों पर रोक लगा दी है। दूसरी ओर, वित्त विभाग ने ‘छत्रपति शिवाजी महाराज शेतकरी सम्मान योजना’ २०१७ के तहत डेढ़ लाख पात्र किसानों को ऋण माफी राशि का भुगतान करने के लिए निधि नहीं होने की बात सामने आई है। इस योजना के लिए ५,९७५ करोड़ रुपए की धनराशि की आवश्यकता है, लेकिन ये किसान अभी भी वंचित हैं क्योंकि सरकार का खजाना खस्ताहाल है।
तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने २०१७ में किसानों की कर्जमाफी के लिए ‘छत्रपति महाराज शेतकरी सम्मान योजना’ की घोषणा की थी। इस योजना में उन किसानों का कर्ज माफ करने की घोषणा की गई थी, जिन्होंने १ अप्रैल २००१ से फसल और मध्यम अवधि का कर्ज लिया था और ३० जून २०१६ तक किसानों ने कर्ज नहीं चुकाया था। ऐसे किसानों की कर्जमाफी की घोषणा की गई थी। इसके तहत डेढ़ लाख रुपए तक का कर्ज माफ किया गया था। साथ ही, २०१५-१६,२०१६-१७ वित्तीय वर्ष कर्ज वापस करने वाले किसानों को २५ हजार रुपए की प्रोत्साहन राशि दी गई थी, लेकिन २०१९ में राज्य में महाविकास आघाड़ी की सरकार आई। इस सरकार के पहले ही सत्र में महात्मा जोतिबा फुले ऋण राहत योजना लागू करने की घोषणा की।
छत्रपति शिवाजी महाराज ऋण राहत योजना में २.६ लाख १७ हजार ऋण खाते थे। इन किसानों को १५ हजार ३४९ करोड़ रुपए की कर्ज माफी दी थी। जिनमें से २४ हजार ८८ हजार ऋण खातों के १३ हजार ७०५ करोड़ रुपए माफ कर दिए गए, लेकिन १ लाख २९ हजार ऋण खातों पर १ हजार ६४४ करोड़ रुपए की ऋण माफी अभी भी बकाया है।
प्रोत्साहन योजना भी लंबित है
लगातार दो साल तक फसल ऋण चुकाने वाले प्रदेश के १ करोड़ ७२ लाख किसानों के ऋण खातों में से २ लाख ३३ हजार ऋण खाते लंबित हैं। इस योजना में २ हजार ७७२ करोड़ रुपए की ऋण माफी राशि का भुगतान किया जा चुका है, लेकिन ३४६ करोड़ रुपए की राशि अभी तक किसानों को वितरित नहीं की गई है।
वित्त विभाग का इनकार
राज्य में २०१७ में घोषित योजना सरकार के ‘महाऑनलाइन’ पोर्टल के माध्यम से कार्यान्वित की जा रही थी। बाद में २०१९ में योजना को ‘महाआईटी’ में स्थानांतरित कर दिया गया, लेकिन २०२७ में किसानों का डेटा उपलब्ध नहीं था। अंतत: काफी प्रयास के बाद लंबित ऋण माफी का विस्तृत आंकड़ा प्राप्त हो गया। ऋण माफी का इंतजार कर रहे किसानों का डेटा और बकाया राशि का प्रस्ताव वित्त विभाग को भेजा गया था, लेकिन ‘मुख्यमंत्री लाडली बहन योजना’ को लागू करने के लिए धन की आवश्यकता और लोकप्रिय घोषणाओं के कारण ऋण माफी का प्रस्ताव रुका हुआ है।