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वोटरों को लुभाने ‘फेको’ का प्रयोग करेगी सरकार …चुनावी सीजन में स्वास्थ्य व्यवस्था सुधारने का प्रयास

आसान होगी मोतियाबिंद की सर्जरी
धीरेंद्र उपाध्याय / मुंबई
महाराष्ट्र में शिंदे सरकार के अस्तित्व में आने के बाद से ही यहां का स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है। इस तथ्य को पिछले साल कई अस्पतालों में मरीजों की हुई मौत ने उजागर कर दिया था। हालांकि, अब जबकि लोकसभा और विधानसभा चुनाव नजदीक आ गए हैं तो शिंदे सरकार स्वास्थ्य व्यवस्था को मजबूत करने में जुट गई है। इसी के तहत महाराष्ट सरकार सरकारी अस्पतालों में ‘फेका’े मशीन लगाने जा रही है। इस मशीन की मदद से मोतियाबिंद के मरीजों की सर्जरी मिनटों में हो जाएगी।
उल्लेखनीय है कि बीते ढाई-तीन सालों से महाराष्ट्र की सत्ता में शिंदे सरकार काबिज है। यह सरकार जब से सत्ता में आई है, तभी से स्वास्थ्य विभागों के साथ ही सरकारी अस्पतालों में मरीजों को दी जानेवाली तमाम तरह की सेवाएं पूरी तरह से चरमरा गई हैं। इस सरकार में स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत अधिकारी व कर्मचारी अपनी सुविधा के मुताबिक आते-जाते और काम करते हैं। कुछ यही हालात सरकारी अस्पतालों में काम करनेवाले स्वास्थ्य कर्मियों और चिकित्सकों के भी हैं। इसका असर पिछले साल प्रदेश के विभिन्न अस्पतालों में हुई कई बेगुनाहों की मौत ने उजागर कर दिया था। हालांकि इसके बाद भी शिंदे सरकार ने इन घटनाओं से सबक नहीं सीखा और अपने ढर्रे पर कायम रही है। हालांकि अब जब लोकसभा चुनाव नजदीक आ गया है तो सरकार वोटरों को लुभाने के लिए स्वास्थ्य व्यवस्था को मजबूत करने में जुट गई है। सरकारी अस्पतालों में लगाए जा रहे ‘फेको’ मशीनें इसी का हिस्सा एक हिस्सा हैं।
१० करोड़
होंगे खर्च
शिंदे सरकार राष्ट्रीय अंधता नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत नेत्र चिकित्सा विभाग को अत्याधुनिक करने के उद्देश्य से मोतियाबिंद सर्जरी के लिए सरकारी अस्पताल में फेको उपचार प्रणाली शुरू किया जा रहा है। इसके तहत १० करोड़ रुपए की लागत से ३० फेको मशीनें खरीदी करने के लिए मंजूरी मिल गई है। इसके साथ ही आवश्यक उपकरणों और सामग्रियों की खरीद भी महाराष्ट्र चिकित्सा आपूर्ति खरीद प्राधिकरण मुंबई के माध्यम से की जाएगी। इसे भी मंजूरी दे दी गई है।
निजी अस्पतालों में महंगा है खर्च
बाजार में मशीन से यह ऑपरेशन कराने पर २५ से ३० हजार रुपए का खर्च आता है, जबकि सरकारी अस्पतालों में यह ऑपरेशन सस्ते में होगा। मशीन से ऑपरेशन के बाद ही मरीज को छुट्टी मिल जाएगी।

मशीन से होगा ऑपरेशन
नेत्र विशेषज्ञों के अनुसार बताया कि अभी तक जो ऑपरेशन किए जाते हैं, उसमें सबसे पहले आंख में दो इंजेक्शन लगाए जाते है। आंख के अंदर ऊपर और नीचे ये इंजेक्शन लगाए जाते थे। इंजेक्शन आंख का हिस्सा सुन करने के लिए लगाए जाते है। इंजेक्शन के १५ से २० मिनट बाद ही ऑपरेशन किए जाने की प्रक्रिया शुरू होती है। ऑपरेशन के दौरान चीरे के लिए ब्लेड का भी प्रयोग किया जाता और ऑपरेशन प्रक्रिया हाथ से होती है। लेकिन अब मरीज को आई ड्रोप डालकर सुन किया जाएगा और तुरंत ही फेको मशीन से ऑपरेशन किया जा सकेगा।

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