सामना संवाददाता / मुंबई
महाराष्ट्र राज्य शिक्षा मंडल द्वारा आयोजित कक्षा १०वीं और १२वीं की परीक्षाएं अब शुरू होने वाली हैं। छात्रों के लिए परीक्षा का हॉल टिकट (प्रवेश पत्र) शिक्षा मंडल की वेबसाइट पर उपलब्ध करा दिया गया है।
छात्र या उनके स्कूल वेबसाइट से यह हॉल टिकट डाउनलोड कर सकते हैं। लेकिन इस हॉल टिकट को देखकर एक विवाद खड़ा हो गया है। क्योंकि छात्रों के हॉल टिकट पर कास्ट कैटेगरी जाति वर्ग का उल्लेख किया गया है। इसे देखकर शिक्षा विशेषज्ञ और शिक्षकों ने हैरानी व्यक्त की है और विरोधी दलों ने शिक्षा मंडल की आलोचना शुरू कर दी है। विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार एक तरफ जातिवाद खत्म करने का प्रयास कर रही है ऐसा दावा करती है, लेकिन यहां तो उनके उलट निर्णय लिए जा रहे हैं। हॉल टिकट पर जाति का उल्लेख होने से छात्रों को भेदभाव का शिकार होना पड़ सकता है, इसके लिए कौन जिम्मेदार होगा। इस पर माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षा मंडल के अध्यक्ष शरद गोसावी ने इस पूरे मामले पर स्पष्टीकरण दिया है।
शिक्षा विभाग का स्पष्टीकरण शरद गोसावी ने कहा कि हॉल टिकट पर जाति नहीं, बल्कि जाति वर्ग का उल्लेख किया गया है। यह छात्रों की सुविधा के लिए किया गया है। गोसावी ने अलग ही तर्क दिया है। उन्होंने आगे कहा कि जब छात्र स्कूल छोड़ते हैं, तो स्कूल या जूनियर कॉलेज के जनरल रजिस्टर में उनके नाम, उनके माता-पिता के नाम, जाति या जाति वर्ग में कोई गलती हो, तो उसे बाद में सुधार नहीं किया जा सकता। कई बार छात्रों की जाति या वर्ग का उल्लेख गलत हो जाता है, जिससे उन्हें भविष्य में कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। कई छात्र इस प्रकार की शिकायतें लेकर हमारे पास आते हैं।
भेदभाव का शिकार हो सकते हैं छात्र
शिक्षा विशेषज्ञ रामानुज यादव ने बताया कि स्कूल या जूनियर कॉलेज के जनरल रजिस्टर में छात्रों की जाति और जाति वर्ग का उल्लेख होता है। इससे उन्हें छात्रवृत्ति प्राप्त करने में आसानी होती है। छात्रों की जाति का उल्लेख केवल प्रमाण पत्रों पर होता है। यदि इसमें कोई गलती होती है, तो आगे की पढ़ाई में समस्या हो सकती है। पर उसे सुधारा जा सकता है। अब हॉल टिकट पर जाति वर्ग का उल्लेख किया गया है। जो अनुचित है। इससे परीक्षा के समय छात्र को भेदभाव का शिकार होना पड़ सकता है।