सामना संवाददाता / मुंबई
महाराष्ट्र के राज्यपाल रमेश बैस ने वाग्धारा कला महोत्सव का उद्घाटन करते हुए कहा कि कला और कलाकार को प्रोत्साहन देने के लिए कला उत्सव आयोजित होते रहने चाहिए।
अंधेरा-पश्चिम के मुक्ति ऑडिटोरियम में आयोजित भव्य समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर संबोधित करते हुए राज्यपाल ने कहा कि देशभर से कलाकार मुंबई शहर में आते हैं। कुछ लोगों के सपने साकार होते हैं तो वो महान हो जाते हैं। फिर उन सफल लोगों से प्रेरणा लेकर युवा मुंबई की ओर खिंचे चले आते हैं। सपनों को पूरा करने के लिए हौसला बरकरार रहना जरूरी है। डॉ.वागीश सारस्वत व भार्गव तिवारी ने राज्यपाल का पुष्पगुच्छ व फलों की टोकरी देकर स्वागत किया। कंचन अवस्थी ने स्वागत वक्तव्य दिया तो वागीश सारस्वत ने वाग्धारा की भावी योजनाओं पर प्रकाश डाला।
इस समारोह का शुभारंभ विनोद दुबे के लोकगीतों से हुआ। फिल्मकार रूमी जाफरी से रवि यादव की बातचीत का दौर रोचक व रोमांचक रहा। नाटककार देव फौजदार की टीम के कलाकारों ने अपने नाटक के गीतों का ओजपूर्ण प्रदर्शन किया। गायक सुधाकर स्नेह की संगीत संध्या ने रंग जमा दिया। इस बीच सविता असीम, नंदिता माजी शर्मा, त्रिलोचन सिंह अरोड़ा और रवि यादव ने अपनी कविताएं प्रस्तुत कीं। कमला छाबड़ा रैपेटरी के कलाकारों ने रंगभूमि नाटक प्रस्तुत किया।
डॉ. वागीश सारस्वत के नेतृत्व में आयोजित इस समारोह में राज्यपाल रमेश बैस ने कला निर्देशक जयंत देशमुख, रूमी जाफरी, अजय कौल, प्रशांत काशिद, कंचन अवस्थी, रवि यादव और सविता रानी आदि को राष्ट्रसेवा सम्मान से सम्मानित किया किया। भार्गव तिवारी के संयोजन में बेला बारोट, विनीता टंडन यादव, मनीषा जोशी आदि की टीम ने समारोह का कुशल व्यवस्थापन किया। गीतकार अरविंद शर्मा राही ने वाग्धारा का परिचय दिया। गायिका श्रद्धा मोहते गीतों और कॉमेडियन सुनील पाल की फुलझड़ियों ने उत्सव में हास्य की उमंग भर दी।