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दादा घर के, न घाट के! … अजीत पवार से भाजपा-शिंदे गुट के विधायक नाराज

महायुति से बाहर करने की मांग
लोकसभा चुनाव में नहीं मिला अजीत पवार का लाभ
सामना संवाददाता / मुंबई
लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद महायुति में महासंग्राम मचा हुआ है। महायुति में सबसे खराब परफॉर्मेंस करनेवाले अजीत गुट को लेकर भाजपा और शिंदे गुट एक तरफ हो गए हैं। सूत्रों की मानें तो अजीत पवार से लोकसभा चुनाव में कोई लाभ नहीं होने का दावा करते हुए भाजपा-शिंदे गुट अजीत पवार को महायुति से बाहर निकालने की मांग करने लगे हैं। ऐसे में अब अजीत पवार की स्थिति घर के न घाट के जैसी होकर रह गई है।
बता दें कि भाजपा की पूरी रणनीति लोकसभा चुनाव में फेल हो गई। शिवसेना और एनसीपी में फूट डालकर राज करने की अंग्रेजों वाली नीति अपनाने वाली भाजपा को करारा झटका लगा है। महाविकास आघाड़ी के शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे), एनसीपी (शरदचंद्र पवार) और कांग्रेस तीनों दलों के सामने महायुति की एक नहीं चली, जनता ने उन्हें नकार दिया। भाजपा ने शिवसेना और एनसीपी में फूट डाली, लेकिन उसे बुरी तरह मुंह की खानी पड़ी। लोकसभा चुनाव में महायुति में एनसीपी अजीत पवार गुट ने सबसे खराब परफॉर्मेंस किया। जिसके बाद अब भाजपा और शिंदे गुट एक साथ हो गए हैं और अजीत पवार पर हमला कर रहे हैं। अजीत पवार गुट को महायुति से बाहर करने की मांग भाजपा-शिंदे गुट के विधायक कर रहे हैं। वही दादा गुट के नेता अमोल मिटकरी का कहना है कि अजीत पवार को जानबूझकर निशाना बनाया जा रहा है। दादा गुट को भी अलग विचार करना होगा।
भाजपा ने विभाजन से पहले एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार को नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से फूट डाली और अजीत पवार को आगे कर एनसीपी में दो फाड़ कर दिए। अजीत पवार भी अपने चाचा से बगावत कर बड़े-बड़े दावे के साथ सत्ता में शामिल हुए थे। लेकिन उनकी परफॉर्मेंस लोकसभा चुनाव में जीरो पर रही। वे एनसीपी का वोट बैंक नहीं तोड़ पाए। उनकी छोली में मात्र एक सीट ही आ पाई। जिसे लेकर अब उनका खेल खराब हो गया है। वे अब भाजपा और शिंदे गुट के लिए किसी काम के नहीं बचे हैं। ऐसा दावा करते हुए उन्हें अब महायुति से हटाने की मांग हो रही है। माना जा रहा है कि अजीत पवार को सत्ता से भी बेदखल किया जा सकता है।

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