मुख्यपृष्ठनए समाचारपालघरवासियों का मलाल : संसद की सीढ़ियां कब चढ़ेगी आदिवासी महिला?

पालघरवासियों का मलाल : संसद की सीढ़ियां कब चढ़ेगी आदिवासी महिला?

पालघर की सियासत की सच्चाई आई सामने
योगेंद्र सिंह ठाकुर / पालघर
देश के पहले आम चुनाव में २४ महिलाएं सांसद चुनी गई थीं। जबकि साल २०१९ आम चुनाव में इनकी संख्या ७८ पहुंच गई। लेकिन आदिवासियों के लिए सुरक्षित महाराष्ट्र के पालघर लोकसभा क्षेत्र से आज तक एक बार भी आदिवासी महिला सांसद नहीं चुनी गई है। लोग सवाल पूछ रहे हैं कि देश की सबसे बड़ी पंचायत में आदिवासी महिला को पहुंचने में और कितने वर्ष लगेंगे?
देश में महिला आरक्षण और महिला सशक्तिकरण की बढ़-चढ़कर बात हो रही है। लोकतंत्र में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने को लेकर बहस हो रही है। लेकिन पालघर जिले की सियासत की सच्चाई कुछ और है। जहां आम चुनावों के इतिहास में अब तक एक भी महिला सांसद नहीं चुनी गई है। लोकतंत्र के सबसे बड़े पर्व में देशभर में महिलाओं बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती हैं। अगर आंकड़े देखे जाएं तो साल २०१९ आम चुनाव में ६७.१८ फीसदी महिलाओं ने अपने वोट का इस्तेमाल किया था। ये आंकड़े पुरुष मतदाताओं के मुकाबले ज्यादा हैं। साल २०१९ आम चुनाव में ६७.०१ फीसदी पुरुषों ने अपने मत का इस्तेमाल किया था। लेकिन पालघर की बात करें तो प्रतिनिधित्व करने के मामले में महिलाएं पीछे छूट गई हैं,

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