मुख्यपृष्ठनए समाचारजीएसटी विभाग का अधिकारी घोटालेबाज

जीएसटी विभाग का अधिकारी घोटालेबाज

दिल्ली पुलिस की ऐंटी-करप्शन ब्रांच ने जीएसटी विभाग की अधिकारी बबीता शर्मा द्वारा किए गए ५४ करोड़ रुपए के घोटाले का पर्दाफाश किया है। स्वैâम में कुल ७ लोग शामिल थे। दरअसल, २०२१ में अधिकारी के वॉर्ड-६ से वॉर्ड-२२ में ट्रांसफर होने के बाद कई फर्म्स द्वारा वॉर्ड-२२ में माइग्रेशन के लिए अप्लाई किए जाने पर जांच बिठाई गई थी।
दिल्ली सरकार की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा ने व्यापार एवं कर विभाग में फर्जी जीएसटी रिफंड के एक बड़े घोटाले का खुलासा किया है। इस घोटाले में १ जीएसटीओ, ३ फर्जी फर्म चलाने वाले वकील, २ ट्रांसपोर्टर और १ फर्जी फर्म के मालिक को गिरफ्तार किया गया है। धोखाधड़ी कर ५४ करोड़ रुपए फर्जी फर्मों को जीएसटी रिफंड किए गए हैं। ७१८ करोड़ के नकली और जाली चालान दिखाए गए थे। लगभग ५०० ऐसी कंपनियों के काम का खुलासा हुआ है
इन रिफंडों को जीएसटीओ द्वारा रिफंड आवेदन दाखिल करने के २-३ दिनों के भीतर मंजूरी दे दी गई थी, जिससे साफ होता है कि वो इस घोटाले में शामिल था। एसीबी के ज्वाइंट कमिश्नर मधुर वर्मा के मुताबिक, जीएसटीओ जुलाई २०२१ तक वॉर्ड नंबर ६ में काम कर रहा था। एसीबी के ज्वाइंट कमिश्नर मधुर वर्मा के मुताबिक जीएसटीओ जुलाई २०२१ तक वॉर्ड नंबर ६ में काम कर रहा था। २६ जुलाई २०२१ को वॉर्ड नंबर २२ में उसका ट्रांसफर हुआ और अचानक ५३ लोगों ने वार्ड नंबर ६ से वॉर्ड नंबर २२ में माइग्रेशन के लिए आवेदन किया और जीएसटीओ द्वारा बहुत ही कम समय में इसकी मंजूरी दे दी गई।
जांच के दौरान पता चला कि इनपुट टैक्स क्रेडिट के सत्यापन के बिना जीएसटीओ द्वारा फर्जी जीएसटी रिफंड को मंजूरी दे दी गई। फर्जी इनवॉयस के एवज में ७१८ करोड़ रुपए रुपए का इनपुट टैक्स क्रेडिट लिया गया है। यानी फर्जी फर्मों ने इस रकम की फर्जी खरीदारी की। इससे ये पता चलता है कि कारोबार का सिर्फ दस्तावेजों पर ही दिखाया गया है। ४१ फर्मों या डीलरों के मामले में प्रथम और द्वितीय चरण के सप्लाई करने वाले डीलर गायब पाए गए।
१५ फर्मों या डीलरों के मामले में, पंजीकरण के समय न तो आधार प्रमाणीकरण था और न ही फर्म का भौतिक सत्यापन था। वार्ड नंबर २२ में माइग्रेशन के लिए मंजूरी दी गई ४८ फर्मों या डीलरों को १२.३१ करोड़ रुपए के जीएसटी रिफंड मंजूर किए गए थे। इन ४८ फर्मों या डीलरों के संबंध में संपत्ति मालिकों से अपेक्षित एनओसी भी २६ और २७ जुलाई २०२१ को तैयार की गई पाई गई। ५ फर्में एक ही पैन या ई-मेल आईडी और मोबाइल नंबर के तहत पंजीकृत पाई गईं और इसका उपयोग कई जीएसटीआईएन पंजीकरण के लिए किया गया था। सामान ले जाने के लिए जाली और फर्जी ई-वे बिल और माल रसीदों का इस्तेमाल रिफंड आवेदनों में किया गया था। ट्रांसपोर्टरों को इन दस्तावेजों को देने के लिए बिना किसी सर्विस के पैसा मिल रहा था।
बैंक खाते की जांच से पता चला कि जीएसटी रिफंड को अलग-अलग खातों के जरिए आरोपी वकीलों और उनके परिवार के सदस्यों को दिया गया। ९६ फर्जी फर्मों में से २३ फर्मों को एक ही ग्रुप यानी आरोपी वकीलों द्वारा सामान्य ईमेल आईडी और मोबाइल नंबरों का उपयोग करके चलाया जा रहा था। इन २३ फर्जी फर्मों ने १७६।६७ करोड़ रुपए के फर्जी चालान किए। इन २३ फर्मों में से ७ फर्में ३० करोड़ की दवाओं और इलाज करने वाले समान के निर्यात के कारोबार में भी शामिल पाई गई।

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