योगेश कुमार सोनी
भारत में मंकीपॉक्स का पहला संदिग्ध मामला सामने आया है। दरअसल विदेश से लौटे एक युवक में इस वायरस के होने का शक है। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक मरीज को आइसोलेशन में रखा गया है और ब्लड रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है, यदि इस शक्स को मंकीपॉक्स पाया गया को देश के लिए एक चिंता का विषय बन जाएगा, चूंकि यह कोई साधारण वायरस नही हैं। किसी भी स्थिति में इसको नियंत्रित करने के लिए केन्द्र सरकार को बड़े कदम उठाने होंगे। जैसा कि इस समय दुनिया भर में मंकीपॉक्स का प्रकोप तेजी से फैल रहा है। अफ्रीका से निकलकर यह वायरस यूरोप और अमेरिका तक पहुंच चुका है। अब भारत भी इस वैश्विक स्वास्थ्य संकट से अछूता नहीं रहा है। दरअसल इस मौसम में अन्य वायरस भी सक्रिय हो जाते हैं जिसमें मरीजों की आंखें लाल हो रही है व इसके अलावा गले में पानी सटकने में भी दर्द हो रहा है जिसको लोग छोटी-मोटी बीमारी समझ रहे हैं लेकिन इस फ्लू को अगला रूप लेने में समय नहीं लग रहा। शुगर व बीपी के मरीजों के लिए यह बेहद खतरनाक माना जा रहा है। यदि मंकीपॉक्स की बात की जाए तो यह एक संक्रामक बीमारी है जो मुख्य रूप से संक्रमित व्यक्ति या जानवर के साथ सीधे संपर्क में आने से फैल रही है। यह बीमारी संक्रमित व्यक्ति के घावों, द्रवों या संक्रमित सामग्री के संपर्क में आने से भी फैल रही है। विशेषज्ञों के अनुसार मंकीपॉक्स का संक्रमण आमतौर पर 2 से 4 सप्ताह तक रहता है। अधिकतर मामलों में मरीजों को सिर्फ सामान्य देखभाल की जरूरत होती है और वे ठीक हो जाते हैं। यह बीमारी मुख्य रूप से संक्रमित व्यक्ति के साथ घनिष्ठ संपर्क में आने से फैलती है खासकर यौन संबंध के दौरान या संक्रमित व्यक्ति के घावों के सीधे संपर्क में आने से। केन्द्र सरकार को इसकी जागरूकता के लिए तुरंत अभियान चला देना चाहिए चूंकि हमारा देश विश्व में सबसे अधिक जनसंख्यावाला देश है और यहां महानगरों में भीड़ भाड़ वाले इलाके हैं जिससे यदि किसी को यह संक्रमण फैल गया तो देश में मानव ब्लास्ट हो जाएगा। कोरोना का कालखंड हम अभी नहीं भूले हैं। सरकार ने जितने सुरक्षा के दावे किए थे वह सबने देखे और मौतों का तांडव भी खुली आंखों से देखा। सरकार ने तो यह भी नही माना था कि देश में ऑक्सीजन की भी कमी थी और सच्चाई यह थी कि कितने लाखों लोग ऑक्सीजन की कमी से मरे थे। बहरहाल, अन्य देशों की अपेक्षा हमें हमारे देश में किसी भी बीमारी या वायरस को लेकर डर इसलिए लगता है कि हमारी व्यवस्थाएं इतनी मजबूत नहीं हैं जितनी हम उम्मीद व अपेक्षा करते हैं। स्वास्थ्य के क्षेत्र में परिस्थितियों का विपरीत जाना इसलिए भी तय माना जा सकता है चूंकि जनसंख्या के आधार पर ज्यादा अस्पताल नही हैं, दवाएं नहीं हैं। सरकारी अस्पतालों की स्थिति कैसी है यह भी हम सबको पता है। इसलिए सरकार को अलर्ट जारी कर स्वयं भी अलर्ट हो जाना चाहिए। इसके अलावा यदि किसी भी मरीज को मंकीपॉक्स को लेकर कोई लक्षण महसूस हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए और संभव हो तो नॉनवेज छोड़ देना चाहिए और कुछ समय भीडभाड वाली जगहों से बचना चाहिए।
वरिष्ठ पत्रकार