सरकारी भर्ती घोटाले का केंद्र बन चुका है गुजरात
सामना संवाददाता / नई दिल्ली
देश में पेपर लीक मामले में अब तक उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों के नाम ही खराब थे, लेकिन अब भाजपा के `मॉडल’ राज्य गुजरात ने उक्त दोनों राज्यों का
रिकॉर्ड तोड़ दिया है। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पैतृक राज्य गुजरात में पेपर लीक अब आम हो गया है। भाजपा भले गुजरात को विकास का रोल मॉडल बता रही है, लेकिन वहां स्थिति बद से बदतर हो गई है। पिछले कुछ वर्षों के आंकड़ों ने गुजरात में सरकारी भर्तियों में हो रहे महाघोटालों की कहानी बयां कर डाली है। यहां ११ वर्षों में सरकारी भर्तियों के लिए ११ पेपर लीक हुए हैं। सरकारी भर्तियों के घोटाले का केंद्र बन चुका गुजरात अब
पेपर लीक ‘मॉडल’ राज्य बन चुका है।
गौरतलब है कि गुजरात के गृह राज्य मंत्री हर्ष सांघवी ने स्वीकार किया था कि राज्य में पिछले ११ वर्षों में पेपर लीक के ११ मामले सामने आए हैं। इसके परिणामस्वरूप २०१ आरोपियों के खिलाफ ११ मामले दर्ज हुए और १० मामलों में आरोप पत्र दाखिल किया गया। सांघवी ने यह नहीं बताया कि गुजरात में पेपर लीक की जड़ें बहुत गहरी हैं और भाजपा शासन से जुड़ी हैं। लेकिन ये कड़ियां भाजपा और सरकार से सीधे कनेक्ट हो रहीं हैं। गुजरात अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड (जीएसएसएसबी), वह संस्था है जो तमाम सरकारी भर्तियों के इम्तिहान कराती है। इसके खिलाफ सबूत मिले हैं। उस समय ८८,००० उम्मीदवारों ने भाग लिया था। प्रश्नपत्र १०-१५ लाख रुपए में लीक कर दिए गए थे, परीक्षा रद्द कर दी गई। इसमें सूर्य प्रेस का नाम आगे आया, बताया जाता है कि यह एक भाजपा नेता से कनेक्टेड है, जिसके बाद इस घोटाले के आरोप में उक्त बोर्ड के अध्यक्ष व भाजपा नेता असित वोरा ने इस्तीफा दे दिया है।
१५ राज्यों में ४१ भर्ती परीक्षाएं रद्द हो चुकी हैं
एक रिपोर्ट की मानें तो पिछले पांच वर्षों में पेपर लीक के कारण १५ राज्यों में ४१ भर्ती परीक्षाएं रद्द हुर्इं हैं। इस मामले में कांग्रेस के प्रवक्ता मनीष दोशी का दावा किया है कि पिछले दशक में सरकारी नौकरी से जुड़ी १४ परीक्षाओं के प्रश्न पत्र लीक हुए हैं, जिसमें २०१३ में जीपीएससी मुख्य अधिकारी भर्ती परीक्षा, २०१५ में तलाठी भर्ती परीक्षा, २०१६ में गांधीनगर, मोडासा, सुरेंद्रनगर जिले में जिला पंचायत द्वारा आयोजित तलाठी भर्ती परीक्षा आदि शामिल हैं।
१.४ करोड़ आवेदकों को लगा गहरा झटका
पेपर लीक मामले में देश के युवाओं का भारी नुकसान हो रहा है। एक रिपोर्ट की मानें तो भर्ती परीक्षाएं रद्द होने से तकरीबन १.४ करोड़ आवेदकों को गहरा झटका लगा। पेपर लीक के कारण परीक्षा ही निरस्त नहीं होती, बेशुमार उम्मीदवारों की उम्मीदें भी टूट जाती हैं। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि भाजपा के राज में युवाओं के साथ फरेब किया जा रहा है और रोजगार को लेकर उनकी उम्मीदों को कुचला जा रहा है।