सुशील राय
ये बीफ क्या है? इस पर बार-बार बवाल क्यों होता है? इस बीफ को लेकर एक नेता ने कभी बयान क्या दिया था, कुछ नेताओं की सुलग गई थी! वैसे भी वो बयान भी आपके ही नेता ने दिया था। इस समय उन नेता का नाम लेकर बवाल खड़ा करना सही नहीं रहेगा, क्योंकि अभी तो `चुनावी बक-बक’ है तो चुप!! अरे नेता तो चुप्पी साध लेंगे। उनको मालूम है…आप उनकी बोलती ईडी, सीबीआई या जो भी आपके हथियार हैं उसका डर दिखाकर बंद करा देंगे। लेकिन, कुछ वर्षों से जो बीफ का बक-बक (बोल) चल रहा है, उसका क्या करेंगे? जनता जनार्दन परेशान है, उसको वैâसे रोकेंगे? वो आपके ही मशीनी महागठबंधन (ईवीएम) की बटन को किसी के भरोसे (चुनाव आयोग) पर `टक’ से दबाकर आपको बायकॉट कर देगी।
आप सोच रहे होंगे ये बीफ एवं बक-बक क्या है और बोलती कौन बंद करवा देगा? इस सवाल के जवाब के लिए आपको इस `बक-बक की यात्रा’ करनी पड़ेगी। ये `बक-बक की यात्रा’ देश ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व में विख्यात दो जगहों की है। सबसे खास बात दोनों जगह वर्तमान में खुद को कट्टर हिंदूवादी `हिंदूहृदयसम्राट’ कहने वाले व्यक्ति से जुड़ा है। खैर, वो हकीकत में `हिंदूहृदयसम्राट’ नहीं हैं, ये आपको आगे की कहानी में खुद पता चल जाएगा। तो चलिए जैसा कि शीर्षक `२०२२ बीएचयू टू २०२४ गांधीधाम’ की यात्रा करते हैं।
इस यात्रा का पहला पड़ाव! ये सन् २०२२ अक्टूबर की बात है। देवों के देव महादेव की नगरी काशी में स्थित बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में बैचलर ऑफ वोकेशनल कोर्स के दूसरे सेमेस्टर का पेपर हो रहा था। इसी में वैâटरिंग टेक्नोलॉजी एंड होटल मैनेजमेंट के पेपर में छात्रों से बीफ से संबंधित प्रश्न किया गया था। सेक्शन ए में तीसरा सवाल बीफ से जुड़ा था। सवाल था, `बीफ का एक वर्गीकरण लिखिए और इसकी व्याख्या करिए’। इस सवाल को लेकर बीएचयू के छात्रों में खूब नाराजगी पैâली। प्रश्नपत्र तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हुए। छात्रों ने कॉलेज प्रशासन को चेताया कि अगर दोषियों पर कार्रवाई नहीं हुई तो बड़ा आंदोलन करेंगे। छात्रों के समर्थन में देश के कई हिंदू संगठन भी खड़े हुए। छोड़िए, बीएचयू की कहानी को यहीं विराम देते हैं।
अब शीर्षक में वर्णित `२०२२ बीएचयू टू २०२४ गांधीधाम’ के दूसरे पड़ाव यानी `गांधीधाम’ चलते हैं। इस जगह का नाम दो शब्दों को जोड़कर रखा गया है। इस नाम में जो पहला शब्द है, वो व्यक्ति आजीवन सत्य और अहिंसा का पाठ पढ़ाते रहे, वहीं पर बीफ खाने की शिक्षा बच्चों को दी जा रही है। जी हां, गुजरात के गांधीधाम में स्थित एक प्राइवेट स्कूल में छोटे बच्चों को पढ़ाया जा रहा था कि बीफ खाया जा सकता है! जब ये मामला सामने आया तो बच्चों के परिजनों के साथ हिंदू संगठन वाले बवाल करने लगे, तब स्कूल प्रबंधन की `समझदानी’ खुली और माफी मांग ली। अंत में, स्कूल प्रबंधन की आंख डर से ही सही खुल तो गई, लेकिन इनकी आंख कब खुलेगी? आप सोच रहे होंगे कि किसकी आंख… उनकी ही जो कभी `मन की बात’ तो कभी …है तो मुमकिन है की बात करते हैं। या ये भी हो सकता है कि जनता द्वारा `टक’ से बटन दबवाकर बायकॉट होने की तैयारी हो!!!