सुशील राय
भाजपा विपक्षी नेताओं को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से डरा कर अपनी पार्टी में शामिल कर रही है तो उसे इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ रहा है। अन्य पार्टियों से आए नेताओं को टिकट देकर भाजपा खुद के लिए गड्ढे खोद रही है। कहते हैं न, ‘जो दूसरों के लिए गड्ढा खोदता है, वो खुद उसी गड्ढे में गिर जाता है’। ये कहावत भाजपा पर बिल्कुल चरितार्थ हो रही है। पार्टी के पुराने नेता या कार्यकर्ता जो वर्षों से भाजपा की सेवा कर रहे हैं, वे नाराज होते दिखाई दे रहे हैं। साथ ही उन नेताओं के समर्थक भी मन बदल सकते हैं। अब देखिए न, ‘मन की बात’ करने वाले अपनी ही पार्टी के नेता की ‘अंतरआत्मा’ की आवाज नहीं सुन सके। आखिरकार, बेचारे विधायक जी इस्तीफा दे दिए। जी हां, ये वड़ोदरा की सावली सीट से विधायक केतन इनामदार हैं। केतन ने रात में केवल तीन लाइन में एक पत्र लिखकर विधानसभा अध्यक्ष को भेज दिया। उन्होंने लिखा, ‘मैं केतन कुमार महेंद्रभाई इनामदार सावली विधानसभा क्षेत्र से विधायक के रूप में पार्टी का प्रतिनिधित्व करता हूं। मैं अपनी ‘अंतरआत्मा’ की आवाज का सम्मान करते हुए विधायक पद से इस्तीफा देता हूं।’ सूत्रों की मानें तो वे भाजपा से जुड़े कांग्रेसियों को जिम्मेदारी सौंपे जाने से नाराज हैं। जब सतीश पटेल को जिला अध्यक्ष बनाया गया तो भी केतन नाराज थे। अंत में, ‘अबकी बार ४०० पार’ की डींग हांकने वालों को केतन ही नहीं, बल्कि अनगिनत ऐसे नेताओं की ‘अंतरआत्मा’ की आवाज सुननी होगी और उनकी गुत्थी सुलझानी होगी। नहीं तो…सपना टूटेगा!
डरना जरूरी है
सोनी टेलीविजन पर कपिल शर्मा का ‘कॉमेडी नाइट्स’ तो आपने देखा ही होगा। उसमें गुत्थी नामक एक वैâरेक्टर है, जो लोगों को पहले अपनी बातों में उलझाती है, फिर गुदगुदाती है। खैर, यहां गुजरात भाजपा की राजनीतिक गुत्थी की बात है, जो उलझी है। आप सोच रहे होंगे कि ये क्या कॉमेडी शो? राजनीतिक गुत्थी! चलिए बता देते हैं। दरअसल, गुजरात में ७ मई को मतदान होगा। इस चुनाव को लेकर कहीं न कहीं भाजपा के मन में डर पैदा हुआ है। ये डर भाजपा की गुजरात इकाई प्रमुख सी आर पाटील की बातों से जाहिर हो रहा है। पाटील ने कहा है कि कांग्रेस को २००९ के लोकसभा चुनावों जैसे प्रदर्शन की उम्मीद होगी, जब उसने राज्य की २६ में से ११ सीटों पर जीत हासिल की थी। दूसरी तरफ ‘आप’ को विधानसभा में प्रदर्शन के बाद लोकसभा चुनाव में एक भी सीट पर जीत मिलती है तो वह विपक्षी दल के रूप में उसकी स्थिति को मजबूत करेगी। यहां तक कि गांधीनगर सीट, जिसका प्रतिनिधित्व खुद अमित शाह करते हैं, उसको लेकर भी डर है। भाजपा को २००४ और २००९ के लोकसभा चुनाव की याद आ रही है, जिसमें कांग्रेस ने शानदार प्रदर्शन किया था। इन सब बातों को मद्देनजर रखकर देखा जाए तो विकास का डंका पीटने वाले भाजपा नेताओं ने कोई विकास नहीं किया और यही उनके डर की वजह है। अंत में, कॉमेडी नाइट्स वाली गुत्थी तो गुदगुदाती है, लेकिन ये गुत्थी भाजपा को उलझन में डाल रही है।