सुरेश एस डुग्गर / जम्मू
कश्मीर आने वाले अगर गुलमर्ग न जाएं तो उनका कश्मीर को देखने का सपना अधूरा ही रह जाएगा। यही कारण है कि अगर कश्मीर आने वाला हर दूसरा टूरिस्ट गौरीमर्ग अर्थात गुलमर्ग जाना चाहता है तो टूर ऑप्रेटरों की सूची में गुलमर्ग भी सबसे ऊपर स्थान बनाए हुए है।
अगर आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो यह पूरी तरह से स्पष्ट होता है कि गुलमर्ग कितना पर्यटकों के दिलों में बसा हुआ है। हालांकि, कश्मीर में इस समय मुकाबला डल झील और गुलमर्ग के बीच भी है और दोनों के आंकड़ों में बस उन्नीस-बीस का ही अंतर है और अगर एक बार आंकड़ों पर गौर करें तो पता चलता है कि गुलमर्ग पर्यटकोंं की जान है। जुलाई महीने को ही लें, सवा दो लाख पर्यटक गुलमर्ग की खूबसूरती को निहारने पहुंचे थे। हालांकि, इस साल फरवरी में भी भीड़ बहुत थी गुलमर्ग में, पर वह ९२,००० के आंकड़े को पार नहीं कर पाई थी। इस साल कुल पौने आठ लाख पर्यटक गुलमर्ग में आए हैं। इनमें अगर ५,५०० विदेशी थे तो ढाई लाख स्थानीय टूरिस्ट भी थे। अर्थात ५ लाख पर्यटक देश के विभिन्न भागों से आए थे, जो गुलमर्ग की वादियों मेंं खो जाना चाहते थे।
यह तो कुछ भी नहीं। पिछले साल १५ लाख की रिकॉर्ड संख्या में टूरिस्टों ने गुलमर्ग का दौरा किया तो वर्ष २०२१ में यह संख्या सवा छह लाख थी। पिछले साल देश के अलग-अलग हिस्सों से आने वालों ने १० लाख का आंकड़ा पार कर एक नया रिकॉर्ड बनाया था, जबकि ४.८ लाख के साथ स्थानीय नागरिक भी पीछे नहीं रहे थे। इसी तरह से वर्ष २०२१ में कोरोना के खतरे के बावजूद ३.६ लाख बाहरी पर्यटक आए थे और ढाई लाख लोकल पर्यटकों ने गुलमर्ग का रुख किया था। वर्ष २०२१ में लोकल पर्यटक इसलिए बढ़े थे, क्योंकि कोरोना के दो सालों की पाबंदियों के कारण वे घरों में वैâद हो गए थे।