सामना संवाददाता / मुंबई
सड़क किनारे छोटे-छोटे पान की दुकानों पर लटके गुटखा और पान मसाला के पाउच खरीदकर खानेवाले लोग न केवल रास्तों को गंदा करते हैं, बल्कि पाउच पैक वेस्ट गटरों को भी जाम कर देता हैं। इसी में अब एक नई रिसर्च ने यह खुलासा किया है कि गुटखा और पान मसाला एक तरह से निकोटिन बम है, जिससे होनेवाली मौतों का आंकड़ा सड़क हादसों में होनेवाली मौतों से भी ज्यादा है।
उल्लेखनीय है कि टाटा मेमोरियल सेंटर के एडवांस्ड सेंटर फॉर ट्रीटमेंट, रिसर्च एंड एजुकेशन के वैज्ञानिकों ने मुंबई क्षेत्र में मिलने वाले धूम्रपान रहित तंबाकू उत्पादों पर शोध किया। उन्होंने ५७ विभिन्न ब्रांड्स के ३२१ सैंपलों की जांच की और पाया कि ज्यादातर में कैंसर पैदा करने वाले खतरनाक पदार्थों का स्तर अत्यधिक था। इनमें सादा तंबाकू, खैनी, गुटखा, पान मसाला, मिश्री, गुल, क्रीमी स्नफ और ड्राई स्नफ जैसे उत्पाद शामिल हैं।
नशे का बन रहे कारण
पान मसाला को अक्सर माउथ फ्रेशनर के रूप में बेचा जाता है। लेकिन इसमें सुपारी, चूना, कत्था और कभी-कभी निकोटिन जैसे हानिकारक पदार्थ भी होते हैं, जो नशीले होते हैं। इसके साथ ही ये स्वास्थ्य के लिए खतरनाक भी हैं। दूसरी तरफ पान मसाला में हमेशा तंबाकू नहीं होता, लेकिन इसे आमतौर पर तंबाकू के साथ ही खाया जाता है। इससे ओरल कैंसर, मसूड़ों की बीमारियां और लत जैसे गंभीर स्वास्थ्य जोखिम बढ़ जाते हैं।
चिंता का बना कारण
तंबाकू और पान मसाला को लेकर किए जाने वाले विज्ञापन सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए एक बड़ी चिंता का विषय हैं, क्योंकि यह अप्रत्यक्ष रूप से तंबाकू उत्पादों के उपयोग को बढ़ावा देते हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञ पान मसाला के सेवन से बचने की सलाह देते हैं। यह कैंसर और ओरल सबम्यूकस फाइब्रोसिस जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है, जो जानलेवा साबित हो सकती हैं।