मुख्यपृष्ठनए समाचारहाफकिन को नहीं मिल रही अनुमति; केंद्र सरकार ने फंसाया पेच!

हाफकिन को नहीं मिल रही अनुमति; केंद्र सरकार ने फंसाया पेच!

  • महाविकास आघाड़ी सरकार ने बनाई थी वैक्सीन उत्पादन की योजना

सामना संवाददाता / मुंबई
कोरोना महामारी के दौरान टीके की जद्दोजहद में जूझ रही दुनिया के बीच भारत को इस संकट से उबारने के लिए को-वैक्सीन और कोविशील्ड ने अहम भूमिका निभाई थी। भारत बायोटेक कंपनी और सीरम इंस्टीट्यूट की तर्ज पर मुंबई की हाफकिन बायो फार्मास्युटिकल में भी कोरोना वैक्‍सीन बनाने की योजना शिवसेनापक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे के नेतृत्ववाली महाविकास आघाड़ी सरकार ने बनाई थी। लेकिन केंद्र सरकार के पेच ने इस प्रस्ताव को अभी भी उलझा रखा है, जिससे हाफकिन बायो फार्मास्युटिकल में वैक्सीन उत्पादन की योजना अधर में ही लटकी हुई है।
पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने अपने कार्यकाल में हाफकिन को संजीवनी देने और भारत बायोटेक कंपनी के साझे में को-वैक्‍सीन उत्पादन की अनुमति देने का अनुरोध केंद्र सरकार से किया था। इस आशय का प्रस्ताव केंद्र को भेजा गया था। केंद्र सरकार ने हाफकिन और भारत बायोटेक को एंटी कोरोना वैक्‍सीन बनाने की अनुमति देने की हामी भरी थी। शिंदे गुट के एफडीए मंत्री संजय राठोड ने माना है कि अभी यह मामला केंद्र के पास विचाराधीन है।
नहीं मिली स्वीकृत धनराशि
अन्न व औषधि विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, केंद्र और राज्य सरकार के अनुमोदन के बाद भारत बायोटेक को वैक्सीन मैन्युपैâक्चरिंग टेक्नोलॉजी कॉरपोरेशन के हस्तांतरण के लिए समझौता किया गया था। परियोजना के लिए स्वीकृत धन प्राप्ति की खातिर आगे की कार्रवाई के लिए ग्रांट-इन-एड लेटर एग्रीमेंट को बीआईआरएसी को भेजा गया है। हालांकि, केंद्र सरकार के भारत बायोटेक और बीआईआरएसी से इस संबंध में हाफकिन कॉर्पोरेशन को कोई जवाब नहीं मिला है। भारत बायोटेक कंपनी से प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण में देरी और प्रस्तावित परियोजना और अन्य सहायक मामलों के लिए केंद्र सरकार से राशि प्राप्त नहीं होने के कारण अभी तक प्रयोगशाला का निर्माण नहीं किया जा सका है और कोरोना वैक्सीन का वास्तविक उत्पादन नहीं हो सका है। आगे की कार्रवाई की जा रही है।
देशवासियों को होता फायदा
भारत बायोटेक कंपनी के साथ हुए करार के हिसाब से यदि हाफकिन बायो फार्मास्युटिकल में वैक्सीन उत्पादन होने लगती तो राज्य सहित पूरे देशवासियों को इसका फायदा मिलता। इस प्रयोगशाला में कोरोना ही नहीं, बल्कि अन्य बीमारियों के टीके का भी उत्पादन किया जाता है। प्लेग जैसी महामारियों में टीके का उत्पादन कर इस संस्थान ने अपनी उपयोगिता साबित की है।

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