मौजूदा वित्तीय वर्ष में रु. १८५ लाख करोड़ रुपए रहने का अनुमान
सामना संवाददाता / नई दिल्ली
हिंदुस्थान पर कर्ज का बोझ लगातार बढ़ता ही जा रहा है। बताया जा रहा है कि पिछले सात सालों में हिंदुस्थान की सरकार पर बकाया कर्ज दोगुना हो सकता है। वित्त वर्ष २०१८-१९ में केंद्र सरकार पर ९३.२६ लाख करोड़ रुपए कर्ज का बोझ था। वर्ष २०२४-२५ में बजट अनुमानों के मुताबिक, १८५.२७ लाख करोड़ रुपए रहने का अनुमान है, जो देश की जीडीपी का ५६.८ फीसदी है। बता दें कि लोकसभा में सरकार ने लिखित में यह जवाब दिया है।
सरकार पर बढ़ा कर्ज का बोझ
लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान वित्त मंत्री से सवाल कर पिछले छह वर्षों के दौरान सरकार पर बकाया लोन का ब्योरा मांगा गया था। वित्त मंत्री से पूछा गया कि क्या हिंदुस्थान सरकार पर बकाया कर्ज में बढ़ोतरी हुई है? इस प्रश्न का लिखित जवाब देते हुए वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी ने बताया कि वित्त वर्ष २०१८-१९ के दौरान सरकार पर कुल ९३.२६ लाख करोड़ रुपए का कर्ज बकाया था, जो कि जीडीपी का ४९.३ फीसदी था। वर्ष २०१९-२० में सरकार पर कर्ज का बोझ बढ़कर १०५.०७ लाख करोड़ रुपए हो गया, जो जीडीपी का ५२.३ फीसदी था। वित्त वर्ष २०२१-२२ में केंद्र सरकार पर बकाया कर्ज बढ़कर १३८.६६ लाख करोड़ रुपए हो गया, जो जीडीपी का ५८.८ फीसदी था। वित्त वर्ष २०२२-२३ जब वैश्विक तनाव बढ़ गया, उस वर्ष केंद्र सरकार पर बकाया कर्ज का बोझ १५६.१३ लाख करोड़ रुपए हो गया, जो जीडीपी का ५७.९ फीसदी था। वित्त वर्ष २०२३-२४ में सरकार पर बकाया कर्ज बढ़कर १७१.७८ लाख करोड़ रुपए हो गया, जो कि जीडीपी का ५८.२ फीसदी है।
कर्ज लो और घी पियो!
देश पर बीते ७ वित्त वर्षों में कर्ज बढ़ने के आंकड़ों पर कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है। कांग्रेस ने एक वीडियो ‘एक्स’ पर शेयर किया है और कहा कि पीएम मोदी का मंत्र है, ‘कर्ज लो और घी पियो।’ कांग्रेस ने कहा कि नरेंद्र मोदी से पहले देश के १४ प्रधानमंत्रियों ने मिलकर सिर्फ ५५ लाख करोड़ रुपए का कर्ज लिया था, लेकिन पीएम मोदी ने इस कर्ज को १८५ लाख करोड़ रुपए तक पहुंचा दिया है। एक अकेले ने १३० लाख करोड़ रुपए का कर्ज देश पर लाद दिया। वीडियो में आंकड़े जारी करते हुए बताया गया है कि २०२४-२५ में कर्ज का अनुमान १८५ लाख करोड़ रुपए हो सकता है।