मुख्यपृष्ठनए समाचारसोने के आभूषणों पर हॉलमार्क अनिवार्य! अक्षय तृतीया से पहले पसोपेश में सराफा व्यवसायी

सोने के आभूषणों पर हॉलमार्क अनिवार्य! अक्षय तृतीया से पहले पसोपेश में सराफा व्यवसायी

  • हॉलमार्क लगाने वाले केंद्रों की संख्या सिर्फ १००
  • व्यावसायियों और ग्राहकों को करना पड़ेगा दिक्कतों का सामना

सामना संवाददाता / मुंबई 
केंद्र सरकार ने १ अप्रैल से सोने के आभूषणों पर हॉलमार्किंग अनिवार्य कर दिया है। इस वजह से मुंबई के सराफा व्यवसायी पसोपेश में हैं। इंडियन बुलियन एंड ज्वेलरी एसोसिएशन का कहना है कि मुंबई  में सराफा व्यवसायियों की संख्या तीन लाख है, जबकि इन व्यावसायियों द्वारा तैयार गहनों पर हॉलमार्क लगाने वाले केंद्रों की संख्या सिर्फ १०० ही है। इस वजह से आने वाले अक्षय तृतीया के दिन व्यवसायियों और ग्राहक सभी को दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
गौरतलब है कि सोने की खरीदारी का शुभ मुहूर्त अक्षय तृतीया करीब आ गया है लेकिन हॉलमार्क को लेकर सराफा व्यवसायी चिंतित हैं। सराफा व्यवसायियों की संख्या लाखों में होने की वजह से जब तैयार गहनों पर हॉलमार्क  लगाने के लिए केंद्र पर भेजा जाता है, तब गहनों को वापस आने में ज्यादा समय लग जाता है। गहने समय पर मिल नहीं पाते हैं। एसोसिएशन का कहना है कि मुंबई देश के सराफा व्यापार का हब है इसलिए यहां हॉलमार्क केंद्रों की संख्या डबल करने की आवश्यकता है।

संख्या बढ़ाने की जरूरत
मुंबई के १०० केंद्रों में से शहर में ७५ केंद्र और उपनगर में २५ केंद्र हैं। सराफा व्यवसायी के अनुसार, एक ज्वैलर प्रति माह लगभग ५ हजार हॉलमार्क लगाने के लिए केंद्र को देता है। उसके एक गहने का हॉलमार्क लगाने में लगभग एक घंटा लगता है। इस हिसाब से मुंबई के लिए १०० केंद्र काफी कम हैं, जिसकी संख्या बढ़ाने की जरूरत है। यदि महामुंबई की नजर से देखें तो ठाणे में हॉलमार्क केंद्रों की संख्या १४ है। इसके अलावा रायगड में ५ और पालघर में केवल ४ है।
पुराने आभूषणों की भी जांच की सुविधा 
हॉलमार्क अनिवार्य होने से अब पुराने आभूषणों का क्या होगा? यह सवाल सभी के सामने उपस्थित हो गया है लेकिन चिंता की कोई बात नहीं है। इसके लिए ज्वेलर्स के पास एक विशेष यंत्र होता है। कई बार ग्राहक पुरानी ज्वैलरी गलाकर नया बना लेते हैं। ऐसा करते समय उस स्वर्णकार को अपने सामने ही आभूषण गलाने के लिए कहिए। इसके बाद आभूषणों की एकत्रित पट्टी तैयार हो जाती है। इस पट्टी की शुद्धता व वजन विशेष मशीन से जांचने की सुविधा ज्वेलर्स के पास रहती है। ऐसा करने के बाद ही पुराने सोना को १०० प्रतिशत रेट मिलता है।

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