सामना संवाददाता / मुंबई
मध्य रेलवे के अधिकारियों ने ४ दिसंबर को पांच मंदिरों को हटाने का नोटिस जारी किया था, जिनमें मुख्यत: हनुमान जी का ८० साल पुराना मंदिर है, लेकिन रेलवे विभाग के इस फरमान के खिलाफ शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) आक्रामक हो गई। इस मंदिर को यदि हाथ भी लगाया गया तो हिंदुत्व क्या है, यह सरकार और रेल विभाग को समझ में आ जाएगा, ऐसी चेतावनी शिवसेना ने दी। जिसके बाद रेल विभाग ने काफी दबाव में आने के साथ ही अपने इस निर्णय पर स्थगन दे दिया है।
शिवसेना के इस आंदोलन के चलते दादर (पूर्व) में सिर्फ हनुमान मंदिर ही नहीं बचा है, इसके अलावा माता लक्ष्मी, शिव भगवान और दत्तात्रेय के मंदिर भी बच गए हैं। रेलवे ने इन चारों मंदिरों को तोड़ने का फरमान जारी किया था। हनुमान मंदिर को लेकर जो शिवसैनिकों का गुस्सा फूटा है, उससे डरे रेल विभाग ने इन सभी मंदिरों के तोड़ने के प्रस्ताव को स्थगित कर दिया है।
दादर स्टेशन के पूर्व में हनुमान मंदिर के साथ-साथ महालक्ष्मी और दत्तात्रेय का मंदिर है। थोड़ी ही दूर पर शिव मंदिर भी है। चारों मंदिरों को तोड़ने की योजना रेलवे प्रशासन की थी। रेलवे के नोटिस में कहा गया था कि ये मंदिर रेलवे की भूमि पर अनधिकृत कब्जा कर रहे हैं, जिससे यात्रियों की आवाजाही बाधित हो रही है और दादर स्टेशन के पुनर्विकास में देरी हो रही है।
इस मुद्दे पर शिवसेना ने आक्रामक रुख अपनाते हुए इस विध्वंस नोटिस को चुनावी हिंदुत्व करार दिया और बीजेपी पर प्राचीन हिंदू मंदिरों की रक्षा करने में विफल रहने का आरोप लगाया।
तोड़ू कार्रवाई पर लगाई रोक
उन्होंने शनिवार शाम हनुमान मंदिर में ‘महा-आरती’ करने की घोषणा की थी। यहां शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे ने महा-आरती की और उसके बाद आदित्य ठाकरे ने कहा कि यह रोक हमारे पक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे के प्रयासों से हुई है। बीजेपी ने केवल क्रेडिट लेने की कोशिश की है। उन्होंने कई प्राचीन मंदिरों का विध्वंस कराया है। उन्होंने यह भी कहा कि विध्वंस आदेश केवल स्थगित नहीं, बल्कि रद्द होना चाहिए। इस मुद्दे को गरमाते देख मध्य रेलवे मंडल के सहायक अभियंता द्वारा जारी एक पत्र में कहा गया कि पूर्व में जारी नोटिस का संदर्भ लेते हुए प्रस्तावित कार्रवाई पर रोक लगा दी गई है।