मरना कोई नहीं चाहता। पर यह अपने हाथ में नहीं है। पर जबतक जीएं, खुश होकर जीएं, यह तो अपने हाथ में है। व्यक्ति जब खुश रहता है तो उसकी उम्र वैसे भी ज्यादा होती है। वैसे अमेरिका की एक युनिवर्सिटी ने लंबी उम्र पाने का एक आसान और खूबसूरत तरीका मिलने का दावा किया है। अमेरिका की नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के ताजा शोध में दावा किया गया कि हरे-भरे इलाकों में रहने वालों में कई जैविक और मॉलिक्यूलर बदलाव आते हैं। इससे उनकी जैविक उम्र घटती है, जिससे क्रोनोलॉजिकल यानी असल उम्र लंबी हो जाती है। अगर लोगों की बायोलॉजिकल उम्र उनकी क्रोनोलॉजिकल उम्र से ज्यादा हो तो वे जल्दी बूढ़े होंगे। बुढ़ापे में होने वाली सारी बीमारियां उन्हें पहले घेरेंगी और साथ ही मौत भी जल्दी होगी। यहां क्रोनोलॉजिकल उम्र से हमारा मतलब असल आयु से है। एक्सपर्ट मानते हैं कि बायोलॉजिकल उम्र अगर असल उम्र से कम रहे तो ऐसा शख्स बाकियों की तुलना में ज्यादा समय तक युवा दिखता है।
केमिकल बदलाव दिखा
टीम ने इन लोगों के डीएनए की जांच में एक केमिकल बदलाव देखा, जिसे मिथाइलेशन कहते हैं। ये प्रोसेस वैसे तो डीएनए में होती ही रहती है, लेकिन उम्र बढ़ने के साथ इसमें बदलाव दिखने लगता है। इसे एपिजेनेटिक क्लॉक कहते हैं। ये घड़ी हमारे जवान या बूढ़ा होने को बताती है। रिसर्च में दिखा कि जो लोग हरियाली के जितने पास रहते थे, उनमें एपिजेनेटिक क्लॉक उतने ही धीरे चल रही थी। जिन लोगों के घरों के ५ किलोमीटर के रेडियस में ३० प्रतिशत तक हरियाली थी, वे उनकी बजाए ढाई साल ज्यादा युवा लगते थे, जिनके घरों के आसपास २० प्रतिशत तक पेड़-पौधे थे।
कंक्रीट में उम्र होती है कम
पहले इस उम्र को घटाने के लिए हरी-भरी चीजें खाने और कसरत करने की बात की जाती थी। लेकिन हरी-भरी चीजों को खाने से ही नहीं, हरी-भरी जगहों पर रहने से भी उम्र लंबी हो जाती है। शोध के लिए अमेरिका के ४ शहरों को चुना गया, जिसमें भी दो हिस्से थे- एक, हरी-भरी जगहों पर रहने वाले लोग और दूसरा, कंक्रीट के बीच रहते लोग। कंक्रीट में रहनेवालों की उम्र कम आंकी गई। लगभग ९०० लोगों पर ये शोध २ दशक तक चला। इसका मकसद ये जानना था कि हरियाली के लॉन्ग-टर्म एक्सपोजर का सेहत पर क्या असर होता है।