सगीर अंसारी
अगर दृढ़ इच्छाशक्ति हो तो इंसान वो मुकाम हासिल कर सकता है, जिसे पाने के लिए लोगों को नाकों चने चबाने पड़ते हैं। उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिला के कौरागहनी गांव के रहनेवाले गयासुद्दीन शेख ने काफी कम उम्र से ही लोगों की सेवा में खुद को समर्पित कर शिवाजी नगर व मानखुर्द में अपनी अलग पहचान बनाई। १९६१ में कौरागहनी गांव में एक संपन्न परिवार में पैदा हुए गयासुद्दीन शेख दादी द्वारा कहे गए अपशब्दों से आहत होकर १९८० में खाना छोड़कर घर से निकले और महानगरी ट्रेन पकड़कर मुंबई पहुंचे। मुंबई में कोई न होने के कारण गयासुद्दीन ट्रक में सो गए, जहां नूर मोहम्मद चाचा ने उन्हें सहारा दिया। चार दिनों बाद उनके सहपाठी नासिर खान के भाई ने उन्हें देखा। नासिर खान के भाई एक कंपनी में मैनेजर थे, जहां उन्होंने गयासुद्दीन को बतौर इलेक्ट्रीशियन काम पर लगाया। खुद को स्थापित करने के बाद अपने भाइयों का भविष्य संवारने के उद्देश्य से गयासुद्दीन ने उन्हें मुंबई बुलाया और उन्हें विदेश भेजा। १९८६ में गोवंडी में अपना कारोबार जमाने के बाद उन्होंने विवाह किया। विवाहोपरांत दो लड़की और दो लड़कों के पिता बने। बच्चों की परवरिश के साथ-साथ उन्होंने शिवाजी नगर क्षेत्र में बढ़ती गुंडागर्दी के विरुद्ध आवाज उठाना शुरू किया और यहीं से उनका सामाजिक सफर शुरू हुआ। लोगों की समस्याओं का हल निकालने के साथ-साथ दूसरे सामाजिक लोगों के साथ मिलकर उन्होंने क्षेत्र में पैâले गुंडाराज को खत्म करने में सफलता हासिल की। वर्ष १९९५ में समाजवादी पार्टी का क्षेत्र में वजूद बनाने के लिए उन्होंने काफी जद्दोजहद की। गयासुद्दीन की मेहनत को देखते हुए समाजवादी पार्टी ने उन्हें मानखुर्द शिवाजी नगर तालुका अध्यक्ष के पद पर नियुक्त किया। क्षेत्र में पानी की किल्लत को देखते हुए गयासुद्दीन शेख ने २००९ में धरना प्रदर्शन किया, जिसके लिए उन्हें तीन दिन की जेल भी हुई। गयासुद्दीन की मेहनत को देखते हुए विधायक अबू हाशिम आजमी ने सुविधाओं के अभावों से जूझ रही मंडाला कच्ची बस्ती वाले क्षेत्र की जिम्मेदारी उन्हें दी, जहां न तो राज्य सरकार का ध्यान था और न ही मुंबई मनपा का। लोगों की इस परेशानी को देखते हुए अबू हाशिम आजमी के निर्देश पर गयासुद्दीन शेख ने उच्च शिक्षा प्राप्त करनेवाले अपने दोनों बेटों जाहिद व हारिश शेख को लोगों की समस्याओं के समाधान की जिम्मेदारी दी और दोनों बेटों ने इस जिम्मेदारी को बखूबी निभाते हुए लोगों की समस्याओं को समझा और उन्हें मिलने वाली सुविधाओं को दिलाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं।