मुख्यपृष्ठस्तंभमेहनतकश : मेहनत और संघर्ष कर बने सफल व्यवसायी

मेहनतकश : मेहनत और संघर्ष कर बने सफल व्यवसायी

अमर झा

बिहार के गांव से मुंबई के लिए जब वो निकले तो उन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि एक दिन न केवल वो एक सफल व्यापारी बनेंगे, बल्कि उनका अपना बच्चा विदेश जाकर पढ़ाई करेगा।
सन् १९७८ में अपने एक रिश्तेदार के साथ बिहार के मधुबनी जिले के मरुकिया गांव से निकलकर मुंबई पहुंचे विनय कुमार मंडल आज एक सफल व्यवसायी हैं। विनय कुमार मंडल के दो बच्चों में से एक बेटे ने दुबई से बीटेक एवं लंदन से एमटेक की शिक्षा प्राप्त की, वहीं उनकी बेटी मुंबई से आर्किटेक्ट की पढ़ाई कर आज फिल्म इंडस्ट्री में बड़े-बड़े बैनरों में आर्ट डायरेक्टर एवं प्रोडक्शन डिजाइनर का काम कर रही है। विनय मंडल बताते हैं कि जब मैं मुंबई आया था तब मैं मात्र १० बरस का था। अपने रिश्तेदार के साथ मुंबई आने के बाद उन्हें पढ़ाई के साथ ही छोटे-मोटे काम में भी हाथ बंटाना पड़ता था। खैर, मिडल स्कूल से होते हुए विनय हाई स्कूल के बाद कॉलेज पहुंच गए। विनय मंडल की पढ़ाई में बेहद दिलचस्पी थी और वो खुद ऊंची शिक्षा लेना चाहते थे, लेकिन विपरीत परिस्थितियों के चलते उन्होंने भविष्य का सपना देखते हुए निश्चय किया कि मैं अपने बच्चों को ऊंची शिक्षा जरूर दूंगा। पढ़ाई के साथ-साथ विनय ने कभी सब्जी बेची, तो कभी वड़ा-पाव का ठेला लगाया। कभी कपड़े के व्यापारी के पास काम किया, तो कभी होटल में नौकरी की। इन कार्यों से विनय संतुष्ट नहीं थे और संघर्ष का दौर चल ही रहा था कि तभी एक बिल्डर के कॉन्टेक्ट में आकर बतौर एस्टेट एजेंट अंधेरी के सात बंगला में काम करने लगे। एस्टेट एजेंट का काम करने के दौरान उन्हें जमीन से संबंधित मामलों की अच्छी-खासी समझ हो गई। हंसमुख एवं मृदुल स्वभाव के विनय ने अंधेरी से बोरीवली के बीच जमीन के कई सौदे करवाए तथा भवन निर्माण कार्य में भी लग गए। विनय मंडल कहते हैं कि अंधेरी में रहते हुए मैंने अंधेरी में ही शादी कर ली, लेकिन अंधेरी में घर खरीदना बहुत कठिन था इसलिए मैंने मीरा रोड में घर खरीद लिया। अंधेरी में रहने की आदत के कारण मीरा रोड में एडजस्ट करना मुश्किल हो रहा था। अत: मैंने पत्नी से वादा किया कि अंधेरी में घर खरीदूंगा। ऊपरवाले की कृपा से मैंने अपने वादे के मुताबिक अंधेरी स्थित सात बंगला में घर खरीदा। मुंबई में व्यवस्थित होने में अपनी पत्नी का भी मुझे भरपूर सहयोग मिला। मेरी पत्नी व मेरी सास ने हमेशा मेरा साथ दिया। मेरे हर सुख-दुख में वो हमेशा मुझे हिम्मत देती रहीं। सन् २००२ में मीरा रोड का रुख करनेवाले विनय मंडल ने वहां एक होटल भी खरीदा। होटल को अच्छे से डेकोरेट कर टाइमलेस फाइन डाइंग रेस्टोरेंट एवं बैंक्वेट हॉल की उन्होंने शुरुआत की। विनय मंडल होटल के साथ-साथ आज भवन निर्माण कार्य भी कर रहे हैं और सफल व्यावसायियों में उनका शुमार किया जाता है।

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