मुख्यपृष्ठनमस्ते सामनामेहनतकश : ट्यूशन पढ़ाकर बने इंजीनियर

मेहनतकश : ट्यूशन पढ़ाकर बने इंजीनियर

अनिल मिश्र

एक फिल्म का डायलॉग है कि अगर किसी चीज को दिल से चाहो तो पूरी कायनात उसे तुमसे मिलाने में जुट जाती है। यह कहावत रोहनीरमण ओमप्रकाश तिवारी पर सटीक बैठती है। एक छोटे से गांव से निकले रोहनीरमण ओमप्रकाश तिवारी अपनी मेहनत के बल पर आज ओला के आईटी हेड हैं। लेकिन रोहनीरमण ओमप्रकाश तिवारी की इस सफलता के पीछे उनका पूरा परिवार है जो गरीबी से निकलकर आज सफलता के पायदान पर लगातार चढ़ता जा रहा है। उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के मड़ियाहूं तहसील के नेवढीयां तिवरान ग्राम के निवासी रोहनीरमण ओमप्रकाश तिवारी चार भाई हैं। सभी की प्रारंभिक शिक्षा गांव से ही शुरू हुई। रोहनीरमण कहते हैं कि मैं गरीबी में पला बढ़ा हूं। वे आगे कहते हैं कि मेरे पिता छोटे किसान हैं फिर भी उन्होंने मुझे बहुत पढ़ाया लिखाया। अपनी शुरूआती शिक्षा के बारे में रोहनीरमण कहते हैं कि मैंने सरकारी स्कूल से १२वीं तक पढ़ाई की। मैं पढ़ने में तेज था, इसलिए हर कक्षा में फर्स्ट आता था। मुझे आगे की पढ़ाई करनी थी, जो कि महंगी थी। मैं घर वालों पर बोझ नहीं बनना चाहता था, इसलिए मैंने बच्चों को ट्यूशन पढ़ाना शुरू किया। पैसों की तंगी की वजह से मैंने इग्नू से बीसीए और एमसीए भी किया। ट्यूशन से जो आय होती थी, उसी से मैं अपनी फीस देता था। रोहनीरमण आगे कहते हैं कि पढ़ने के लिए मैं लखनऊ आ गया और एयरोनॉटिकल में इंजिनयरिंग किया। इसके बाद एयर इंडिया में इंटरव्यूह दिया और भगवान के आशीर्वाद से पहले ही प्रयास में मेरा सेलेक्शन हो गया। मैं एयर इंडिया में जॉब करने लगा। वहां जॉब करते हुए मेरी महत्वकांक्षा भी बढ़ी। मेरा मन संतुष्ट नहीं हो रहा था, मुझे आगे बढ़ना था, इसलिए मैंने वह जॉब छोड़ दिया और ओला में इंटरव्युह दिया। यहां भी ईश्वर के आशीर्वाद और किस्मत से पहले ही प्रयास में मेरा सेलेक्शन हो गया और अब मैं बंगलुरु में ओले में जॉब कर रहा हूं। रोहनीरमण का परिवार ठाणे के बदलापुर में रहता है, परिवार में पत्नी और दो बेटियां हैं। उनकी पत्नी का नाम मधु तिवारी है जो कि सीनियर ऑडिटर हैं। रोहनीरमण कहते हैं कि मेरी सफलता में मेरी पत्नी का विशेष योगदान है। उन्होंने हर समय मेरा साथ दिया। रोहनीरमण के भाई करुणानिधि तिवारी बताते हैं कि रोहनीरमण भले ही आज सफल व्यक्ति हैं लेकिन वे जमीन से जुड़े हैं। वे जब भी मौका मिलता है गांव निकल जाते हैं। उनकी रूचि खेतीबाड़ी में भी है। उनका सपना खुद की आईटी कंपनी खोलने का है। वे चाहते हैं कि गरीब बच्चों को भी कंप्यूटर का ज्ञान मिले। इसलिए रोहनीरमण कम्प्यूटर क्लास खोलने के लिए प्रयासरत हैं। वे गरीब बच्चों को स्टेशनरी बांटते हैं और उन्हें शिक्षा भी देते हैं। सामाजिक कार्यों में भी बढ़चढ़कर हिस्सा लेने वाले रोहनीरमण सच्चे मेहनतकश हैं जो अपनी मेहनत से सलफता के मुकाम पर पहुंचे हैं।

अन्य समाचार