मुख्यपृष्ठस्तंभमेहनतकश : समाजसेवा के जरिए कम उम्र में बनाई पहचान

मेहनतकश : समाजसेवा के जरिए कम उम्र में बनाई पहचान

सगीर अंसारी

कोई पैसे के बल पर तो कोई अपने रसूख के दम पर लेकिन कुछ ऐसे लोग भी समाज में हैं, जिन्होंने अपनी मेहनत से लोगों की निस्वार्थ मदद की और उनके दुख में खड़े रहे। ऐसे ही एक समाजसेवक नसीम अहमद खान ने काफी कम उम्र में ही लोगों के बीच अपनी अलग पहचान बनाई है। उत्तर प्रदेश के खलीलाबाद जिला से ताल्लुक रखने वाले नसीम खान के पिता मुनीर अहमद वर्ष १९६० में काम की तलाश में मुंबई आए थे और यहां के मशहूर क्षेत्र भायखला के मुस्तफा बाजार में लकड़ा कारोबारी अपने रिश्तेदार के पास रहकर अपने काम की शुरुआत की। काफी मेहनत के बाद उन्होंने धारावी में खुद का लकड़े का काम शुरू किया। समय का पहिया घूमता रहा और वह तरक्की करते गए। इसी दौरान नसीम खान का वर्ष १९७० में जन्म हुआ। स्नातक तक की शिक्षा प्राप्त करने के बाद नसीम खान ने अपने पिता का काम संभाल लिया। हालांकि, बड़ा परिवार होने के बावजूद नसीम खान ने अपने एक भाई सहित अपने तीन चचेरे भाइयों की जिम्मेदारी खुद उठाई और उनका कारोबार शुरू कराया। गोवंडी जैसे स्लम क्षेत्र में परवरिश पाने वाले नसीम खान ने लोगों की समस्याओं को काफी नजदीक से देखा था। इस वजह से उनके दिल में बचपन से ही समाजसेवा का जज्बा था। उन्होंने अपने साथियों के साथ मिलकर लोगों की समस्याओं को अधिकारियों व राजनेताओं तक पहुंचाया। हालांकि, समाजसेवा में इतना नाकाफी होने पर नसीम खान ने वर्ष २००९ में अपने मित्रों जहांगीर शेख व अन्य के साथ राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए। इसके बाद क्षेत्र के विकास के लिए हर मुमकिन कोशिश की। इनकी समाजसेवा को सराहते हुए पार्टी ने पहले उन्हें अल्पसंख्यक सेल का तालुका अध्यक्ष बनाया और वर्ष २०१२ में पार्टी के बेसिक पैनल में तालुका अध्यक्ष बनाया। लोगों की समस्याओं को हल करने के साथ अपने परिवार को भी बखूबी देखा और अपने दो पुत्रों को शिक्षित किया। बड़े बेटे नदीम खान को एडवोकेट बनाया, जबकि दूसरे बेटे फहीम खान को बीकॉम तक की शिक्षा दिलाई, जो आज अपने पिता नसीम खान से जुड़ा हुआ है। नसीम खान ने हमेशा ही तन-मन से लोगों की सेवा की और कॉविड-१९ के दौरान जहां लोग अपनी और परिवार की जान की हिफाजत में लगे थे, वहीं नसीम खान ने अपनी जान की परवाह किए बिना लोगों की हर मुमकिन मदद की। आज भी दिन हो या रात, नसीम जी तन-मन से लोगों की सेवा में जुटे रहते हैं। पार्टी के निष्ठावान सिपाही होने के नाते २०२४ में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान गठबंधन से शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के सांसद संजय दीना पाटील को मानखुर्द शिवाजीनगर तालुका से सफल होने में अपने साथियों के साथ मिलकर जी-तोड़ मेहनत की। सच में अपने परिवार की परवाह न करते हुए समाज को अपना परिवार समझकर नसीम खान की सेवा देश भक्ति की सच्ची निष्ठा है।

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