मुख्यपृष्ठस्तंभमेहनतकश : ईमानदारी के चलते नहीं करना पड़ा तंगी का सामना

मेहनतकश : ईमानदारी के चलते नहीं करना पड़ा तंगी का सामना

अनिल मिश्र

लोगों की सेवा का संकल्प लेकर ऑटोरिक्शा चलानेवाले चालक रामदीन पाल का मानना है कि रिक्शाचालकों पर लोग आंख मूंदकर विश्वास करते हैं। अजनबी व्यक्ति रिक्शाचालकों पर विश्वास करते हुए उनकी ऑटोरिक्शा में बैठकर अपने गंतव्य पर पहुंचते हैं। उस विश्वास को न खोते हुए और ग्राहकों को भगवान मानते हुए रामदीन पाल अपने ऑटोरिक्शा में बैठनेवाले हर व्यक्ति का बेहद सम्मान करते हैं।
उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के शाहगंज तहसील में मदरहा गांव के निवासी रामदीन पाल बताते हैं कि उनकी पारिवारिक स्थिति बेहद खराब थी। पिता ने बड़ी ही सादगी और मेहनतपूर्वक जीवन जीकर अपने साथ ही उनकी जीवनशैली भी बदल दी। पिता धर्मराज पाल थे और वे अपने नाम के अनुरूप ही थे। रामदीन पाल बताते हैं कि उनके पिता ने कभी किसी का दिल नहीं दुखाया। पिता की राह पर चलने वाले रामदीन पाल तीन भाई और एक बहन हैं। अपने परिवार के हर सुख-दुख में शामिल होनेवाले रामदीन पाल के बड़े भाई सेंचुरी रेयान कंपनी में काम करते हैं। उनका छोटा भाई निजी दुकान में गैरेज चलाता है और वो खुद १४ बरसों से रिक्शा चलाते हैं। यात्री देवता के समान होता है और देवता न जाने किस रूप में आ जाए, इस बात पर गौर करते हुए अपने ऑटोरिक्शा में बैठनेवाले हर यात्री से वो बड़े ही प्रेम से बोलते हुए उसे उसके गंतव्य तक पहुंचाते हैं। शायद इसी वजह से उन पर ईश्वर की कृपा रही है कि उन्हें कभी आर्थिक तंगी का सामना नहीं करना पड़ा। सौ से लेकर दो सौ किलोमीटर तक अपने यात्रियों को छोड़नेवाले रामदीन पाल कहते हैं कि ऑटोरिक्शा चालक भाई कहते हैं कि सरकार द्वारा भारी संख्या में ऑटो परमिट देने के कारण रिक्शाचालकों को घंटों कतार में खड़ा रहना पड़ता है। बढ़ती महंगाई के कारण कमर टूट गई है और घर चलाना कठिन हो गया है, लेकिन रामदीन पाल कहते हैं कि उनको एक बेटा और एक बेटी है। बेटी डोंबिवली के एम्स अस्पताल में जनरल नर्सिंग का प्रशिक्षण लेकर एम्स में नौकरी कर रही है, जबकि लड़का बी. कॉम करने के बाद इवेंट फील्ड में काम कर रहा है और वे भी रोज अच्छी आमदनी अपनी ऑटोरिक्शा से कर लेते हैं। रामदीन कहते हैं कि पिता द्वारा बनाई गई पाल की चाल में उन्होंने चार रूम भाड़े पर दिए हुए हैं। चार रूम का भाड़ा गांव में रह रही अपनी बहन को वो प्रतिमाह भेजते हैं। बहन का भी घर-परिवार पिता के आशीर्वाद से बहुत ही अच्छा चल रहा है। रामदीन पाल परिवार सहित समाज की भी मदद में सदैव आगे रहते हैं। पाल समाज के बेटे-बेटियों के विवाह के लिए वे दौड़-धूप करते हैं। रामदीन पाल के पिता धर्मराज का एक वर्ष पहले देहांत हो गया। मां की सेवा कर उनका आशीर्वाद पानेवाले रामदीन इतने ईमानदार हैं कि कई बार यात्रियों का छूटा हुआ सामान उन्होंने यात्री के घर पर जाकर पहुंचाया है। रामदीन पाल कहते हैं कि ठगा गया धन क्षणभंगुर होता है, जबकि मेहनत से कमाया हुआ धन टिकता है।

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