मुख्यपृष्ठनमस्ते सामनामेहनतकश : जज्बा-जुनून हो तो सब मुमकिन है!

मेहनतकश : जज्बा-जुनून हो तो सब मुमकिन है!

सगीर अंसारी

नेकदिल, सच्ची लगन और अथक मेहनत के साथ जब कोई भी काम किया जाता है तो ईश्वर भी उसका साथ देता है। इसीके साथ ही अगर व्यक्ति में किसी काम को करने का जोश, जज्बा और जुनून हो तो सफलता मुमकिन और आसान हो जाती है। ऐसा मानना है रमेश गुंडप्पा कोली का, जिन्होंने अपनी मेहनत व समाजसेवा के बल पर क्षेत्र में एक अलग पहचान बनाई है। कर्नाटक के जिला गुलबर्गा के देवल गाणगापुर गांव से ताल्लुक रखनेवाले रमेश कोली के दादा शिवाप्पा कोली काम की तलाश में वर्ष १९४३ में मुंबई आए थे और यहां उन्हें सुप्रसिद्ध आजाद मैदान में सुरक्षा रक्षक का काम मिला और वह कोलाबा क्षेत्र में रहने लगे और यही उनके पिता गुंडप्पा कोली का जन्म हुआ और वे कम उम्र में ही एफकॉन्स कंपनी में काम करने लगे और शादी के बाद गुंडप्पा कोली अपनी पत्नी के साथ गोवंडी के बैगनवाड़ी प्लॉट क्र. २९ में रहने लगे, जहां वर्ष १९७५ में रमेश कोली का जन्म हुआ। काफी गरीबी में अपना बचपन बितानेवाले रमेश कोली ने दसवीं तक अपनी शिक्षा को पूरा करने के बाद घर के हालात को देखते हुए नौकरी करने का मन बनाया और फिर काम पर लग गए। गोवंडी क्षेत्र में पैदा होने से लेकर जवानी की दहलीज पर कदम रखनेवाले रमेश कोली ने क्षेत्र के लोगों की समस्याओं को काफी नजदीक से देखा और बचपन से ही उनका समाजसेवा के प्रति झुकाव था। १८ वर्ष की आयु में कदम रखते ही हिंदूहृयसम्राट शिवसेनाप्रमुख बालासाहेब ठाकरे से प्रेरणा लेकर वे शिवसेना पार्टी में शामिल हो गए और उस समय इस क्षेत्र के पूर्व विधायक रत्नाकर नारकर के साथ खड़े हुए और उनकी मदद से क्षेत्र के लोगों की समस्याओं को सुलझाने में जुट गए। इनकी मेहनत को देखते हुए उस समय के विभागप्रमुख दत्ताराम गुजर ने इन्हें गटप्रमुख बनाया। रमेश कोली ने समाजसेवा के साथ परिवार सेवा का भी खास ख्याल रखा। खुद दसवीं तक की पढ़ाई करनेवाले रमेश कोली ने अपने दो बच्चों की पढ़ाई में कोई कसर नहीं छोड़ी। अपने दोनों बेटे रिषी और यश को अच्छी शिक्षा देकर उनका सपना पूरा किया। आज उनका बड़ा बेटा बैंक में नौकरी कर रहा है और छोटा बेटा अभी हाईस्कूल में है। रमेश कोली ने अपने बच्चों के साथ-साथ क्षेत्र के बच्चों के अच्छे भविष्य की ओर कदम बढ़ाते हुए क्षेत्र के स्कूलों में मिलनेवाली शिक्षा को अच्छा बनाने के लिए अपने उच्च पदाधिकारियों के साथ मिलकर काम करना शुरू किया और बच्चों के खेल कौशल्य को बढ़ावा देने के लिए क्षेत्र में स्पोर्ट्स कार्यक्रम का आयोजन भी किया। कोरोना काल में अपनी जान की परवाह न करते हुए घर से बाहर निकल कर बस्तियों में घूम-घूम कर लोगों की परेशानियों को सुना और उनके इलाज के लिए हर मुमकिन मदद की। जरुरतमंदों को पार्टी की ओर से राशन बांटा। इनकी इस मेहनत को देखते हुए शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) विभागप्रमुख सुरेश पाटील ने रमेश कोली को शाखाप्रमुख पद की जिम्मेदारी दी। इस जिम्मेदारी को बखूबी निभाते हुए रमेश कोली ने अपने संगठन को मजबूत करने के साथ-साथ क्षेत्र की समस्याओं को लेकर कई अहम काम किए।

अन्य समाचार