मुख्यपृष्ठनमस्ते सामनामेहनतकश : ऑटो चलाकर बेटे को बनाया चार्टर्ड अकाउंटेंट

मेहनतकश : ऑटो चलाकर बेटे को बनाया चार्टर्ड अकाउंटेंट

अशोक तिवारी

कहते हैं कि एक पिता दुनिया का सबसे ताकतवर इंसान होता है। एक पिता अपने बच्चों के लिए पूरी दुनिया होता है। कहा जाता है कि जिंदगी में पिता अमीर हो या गरीब यह मायने नहीं रखता है, बल्कि यह मायने रखता है कि पिता होना चाहिए। कुछ ऐसी ही कहानी है कुर्बान अली खान की, जिन्होंने अपने बेटे के लिए पूरी दुनिया से जंग लड़ी और मुंबई की सड़कों पर ३५ वर्षों से ऑटो रिक्शा चला कर बेटे को जिंदगी में वह मुकाम हासिल करा दिया, जिसे पाने के लिए अधिकतर युवा वर्ग तरसता है। बता दें कि कुर्बान अली खान के पिता अली खान उत्तर प्रदेश के रामपुर जिले से १९७० के दशक में मुंबई आए थे। कुर्बान अली खान की उम्र मात्र ९ वर्ष की थी, जब उनके पिता का वर्ष १९७९ में देहांत हो गया। कुर्बान अली खान के परिवार में तीन भाई और दो बहनें थीं। पिता के देहांत के बाद परिवार का खर्चा बहुत ही मुश्किल से चल पा रहा था। जैसे-तैसे कर कुर्बान अली खान ने १२वीं तक की शिक्षा प्राप्त की और परिवार का खर्च चलाने के लिए टेलरिंग के धंधे में उतर गए। उस समय उनके सामने परिवार का खर्चा चलाना एक बड़ी जिम्मेदारी थी। कुछ दिनों तक कुर्बान अली खान ने दर्जी का काम किया लेकिन उससे उन्हें कोई मुनाफा नहीं हुआ। अपने दोस्तों की सलाह पर कुर्बान अली खान ने वर्ष १९९२ से ऑटोरिक्शा चलाना शुरू कर दिया। ऑटो रिक्शा चलाने का काम उन्होंने वर्ष २०१९ तक जारी रखा। इसके बाद मुंबई शहर में हुए लॉकडाउन के दौरान उन्होंने टैक्सी चलाना शुरु कर दिया, जिसके बाद आज तक वे टैक्सी ही चला रहे हैं। कालांतर में कुर्बान अली खान की शादी हो गई जिससे उन्हें दो बेटे और एक बेटी पैदा हुई। लेकिन कुदरत का खेल देखिए कि उनकी बेटी मंदबुद्धि पैदा हुई। जिसकी परवरिश को लेकर कुर्बान अली खान आज तक जिंदगी से संघर्ष कर रहे हैं। उनका बड़ा बेटा पढ़ाई में काफी होशियार निकला और उसने सीए बनने की इच्छा प्रकट की तो कुर्बान अली खान अपने बेटे की इच्छा को पूरी करने के लिए पूरी तरह से उसके प्रति समर्पित हो गए। कुर्बान अली खान ने मुंबई की सड़कों पर २० घंटे टैक्सी चला कर उसकी पढ़ाई में होने वाले खर्च को पूरा करते रहे। जिसका नतीजा यह हुआ की २ वर्ष पूर्व बड़ा बेटा चार्टर्ड अकाउंटेंट बन गया। उनका दूसरा बेटा ग्रेजुएशन कंप्लीट कर आज प्राइवेट कंपनी में नौकरी कर रहा है। कुर्बान अली खान अपनी मंदबुद्धि बेटी के इलाज के लिए मुंबई शहर के विभिन्न गैर सरकारी संगठनों से अनुदान लेकर उसका खर्चा चला रहे हैं। कुर्बान अली खान का सपना है कि उनका बड़ा बेटा जो चार्टर्ड अकाउंटेंट बन गया है वह किसी तरह से अपना खुद का कार्यालय खोल कर बेटी का इलाज कराए ताकि बेटी भी सामान्य जीवन जीते हुए अपने पैरों पर खड़ी हो सके। रमजान का महीना शुरू हो गया है। कुर्बान अली खान भी नियमित रूप से रोजा रख रहे हैं। वे कहते हैं कि अल्लाह से उनकी एक ही चाहत है कि उनके बच्चे सही सलामत रहें और दुनिया की हर बला से लड़ने की ताकत उन्हें मिले। कुर्बान अली खान के संघर्ष और उनके हौसले को देखकर उनके साथ टैक्सी चलाने वाले ड्राइवर उन्हें अल्लाह का नेक बंदा मानते हुए उन्हें सलाम करते हैं।

अन्य समाचार