अमर झा
परिस्थितियां चाहे जितनी भी कठिन हों, अगर इरादा पक्का और हौसला मजबूत हो तो मंजिल अंतत: मिल ही जाती है। कठिन परिस्थितियों में वकालत की पढ़ाई कर अपना मुकाम हासिल करनेवाले एडवोकेट दिनेश कुमार यादव १९९९ में बारहवीं की परीक्षा गांव से पास करने के बाद मुंबई पहुंचे। दिनेश बताते हैं कि मैं उत्तर प्रदेश के भदोही जिले के बड़वापुर गांव का रहनेवाला हूं। मुंबई में पिता अमरनाथ यादव एक साधारण नौकरी करते थे। मैं स्वामी अड़गड़ानंद जी का सेवक हूं और मैं उनके मिर्जापुर स्थित चुनार आश्रम में सेवक था। मेरी पढ़ाई के दौरान गुरुजी मुझे अपने साथ मुंबई लेकर आ गए और उन्होंने मुझे आदेश दिया कि तुम तबेला चलाओ। उनके आदेश का पालन करते हुए मैं दूध के व्यवसाय से जुड़ गया और दूध बेचने के साथ ही पढ़ाई करता रहा। मुंबई से बीकॉम, एलएलबी की पढ़ाई पूरी करने के साथ ही १० वर्षों तक डेयरी का काम करते हुए मैंने २०१० में एड. एच.आर. शर्मा के सानिध्य में वकालत शुरू की। कुछ दिनों बाद मैं स्वतंत्र रूप से वकालत करने लगा। कुछ ही दिनों में मैंने अपनी पहचान एक अच्छे वकील के तौर पर बना ली। मैं आज जो कुछ भी हूं, वो हमारे गुरु महाराज का आशीर्वाद है। आज भी मैं गुरु पूर्णिमा के अवसर पर हर वर्ष अपने गुरु का दर्शन करने चुनार, मिर्जापुर के परमहंस और सत्तेस गढ़ा आश्रम पर जाकर अपनी सेवा देता हूं। गुरु के आशीर्वाद से ही मुझे आज सब कुछ मिला। गुरुजी का आदेश आज भी मेरे लिए सर्वोपरि है। मैं अपने बच्चों को ऊंची शिक्षा दिलवाना चाहता हूं। बेटी को मैं डॉक्टर और बेटे को वकालत की पढ़ाई करवाना चाहता हूं। बहुत ही कठिन परिस्थितियों में रहकर मैंने अपने सपनों को साकार किया। इन कठिन परिस्थितियों में मुझे मेरी पत्नी का बहुत ही सहयोग मिला। सामाजिक कार्यों में मेरी अधिक रुचि होने कारण घर के लोगों से अनबन रहती थी, जिसके कारण मुंबई आने के बाद मैं अपने परिवार के साथ न रहकर एक ट्रस्ट में रहता था। मैं उस ट्रस्ट का शुक्रगुजार हूं, जहां मुझे १० वर्षों तक रहने का सहारा मिला। नेकदिल, निश्छल, मृदुभाषी और सरल होने के कारण एड. दिनेश यादव समाज में भी अच्छी पकड़ रखते हैं। उन्होंने मीरा-भायंदर में यादव समाज सेवा संस्था का गठन किया, जिसमें उनके समाज के लगभग ३० हजार लोग जुड़े हैं। संस्था के द्वारा समाज के लिए अनेकों कार्य करनेवाले दिनेश यादव खुद से भी गरीब बच्चों की पढ़ाई और उनके विवाह में मदद करते रहते हैं।