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मेहनतकश : प्राइवेट नौकरी कर की मां-बाप की सेवा

अशोक तिवारी

बूढ़े माता-पिता और बुजुर्गों को बोझ माननेवाले और उनकी सेवा न करनेवालों के लिए महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के रोहा तालुका के नहावे गांव के रहनेवाले कोली समुदाय के गणेश पांडुरंग पाटील एक ऐसा जीवंत उदाहरण हैं, जिन्होंने अपने वृद्ध माता-पिता की सेवा करने के लिए ४२ वर्ष पूरे होने के बावजूद अपना विवाह उन्होंने अभी तक नहीं किया।
गणेश पाटील बताते हैं कि पिता पांडुरंग पाटील का समुद्र से मछली पकड़कर बेचने का पुश्तैनी कारोबार था। मछली पकड़कर बेचने का यह कारोबार अच्छा-खासा चल रहा था, तभी पांडुरंग पाटील के कुछ दोस्तों ने उन्हें पुलिस में भर्ती होने की सलाह दी। इसके बाद हवलदार की परीक्षा पास कर वे पुलिस विभाग में भर्ती हो गए। उनके पुलिस में भर्ती होने से उनका मछली पकड़कर बेचने का पुश्तैनी धंधा खत्म हो गया। कुछ दिनों तक पुलिस विभाग में उन्होंने नौकरी की, लेकिन उन्हें प्रकृति और समुद्र से प्रेम था। पुलिस विभाग की भाग-दौड़ भरी जिंदगी से उनका मन जल्द ही ऊब गया और कुछ वर्षों की सेवा के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया और वापस रायगढ़ चले गए और मछली पकड़कर बेचने का व्यवसाय फिर से शुरू कर दिया। पांडुरंग पाटील की तीन संतानें थीं। घर की आर्थिक स्थिति कुछ बहुत ज्यादा अच्छी नहीं थी इसलिए बच्चों को उच्च शिक्षा नहीं दिला पाए। दसवीं तक गांव से पढ़ाई करने के बाद परिवार को आर्थिक सहयोग करने के उद्देश्य से वर्ष २००६ में गणेश पाटील मुंबई आ गए। मुंबई आने के बाद ज्यादा पढ़ा-लिखा न होने की वजह से उन्हें विभिन्न दफ्तरों में छोटा-मोटा काम करना पड़ा। इस बीच वृद्धावस्था के कारण पिता की तबीयत ठीक न होने के कारण गणेश अपने माता-पिता की सेवा में इतने मशगूल हो गए कि उनके दिमाग में शादी करने का खयाल ही नहीं आया। इसी बीच वर्ष २०२० में पिता पांडुरंग पाटील का देहांत हो गया। गणेश की मां गांव में रहती हैं और यदा-कदा मुंबई में उनके पास आती रहती हैं। गणेश महीने में दो से तीन बार रायगढ़ जाते हैं और मां की सेवा करते हैं। विवाह न होने के कारण उनका खर्च ज्यादा नहीं है इसलिए जैसे-तैसे कर उन्होंने घाटकोपर के कामराज नगर में एक घर खरीद लिया। भविष्य के बारे में बात करते हुए गणेश पाटील बताते हैं कि कुछ दिनों बाद वह शादी करने की योजना बना रहे हैं। गणेश चाहते हैं कि उनकी मां भी उनके साथ मुंबई में रहें, जबकि समुद्र प्रेम उन्हें भी बार-बार गांव की तरफ खींचता रहता है। गणेश कहते हैं कि अगर जरूरत पड़ी तो गांव जाकर अपने मछली पकड़कर बेचने के पुश्तैनी व्यवसाय को पूर्ववत जारी रखेंगे। इसके लिए भले ही उन्हें मुंबई को क्यों न छोड़ना पड़े। गणेश पाटील का कहना है कि मां-बाप धरती पर जीवित और प्रत्यक्ष ईश्वर हैं, जो व्यक्ति मां-बाप की परवाह नहीं करता वो ईश्वर से कितना भी लगाव क्यों न रखे, ईश्वर ऐसे व्यक्ति को नहीं अपनाते।

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