अशोक तिवारी
एक कहावत है कि जिसका कोई नहीं उसका तो खुदा है यारों। इस कहावत को महादेव तुलसीराम कसबे की कहानी पूरी तरह से चरितार्थ करती है। आज से लगभग ५३ वर्ष पूर्व महाराष्ट्र के बीड़ जिले में भयंकर अकाल पड़ा था। परिवार के घर खर्च के लिए महादेव के पिता तुलसीराम ने महाजन के पास अपनी सारी जमीन और घर को गिरवी रख दिया था। लेकिन अकाल की वजह से वे महाजन का कर्ज नहीं चुका पाए और महाजन ने उनकी जमीन को जप्त कर लिया। इसके बाद तुलसीराम कसबे का परिवार सड़क पर आ गया था। तुलसीराम पत्नी और बेटों सहित मुंबई आ गए। मुंबई में घाटकोपर के राजावाड़ी अस्पताल के पास आंबेडकर नगर में तुलसीराम झोपड़ी बनाकर रहने लगे।
महादेव कसबे बताते हैं कि वे अपने भाइयों के साथ सुबह लोगों की गाड़ियां धोते थे। इस कार्य में मुश्किल से २० से २५ पैसे की आमदनी होती थी, जो दो वक्त के भरपेट भोजन के लिए भी अपर्याप्त थी। इसके बाद महादेव कसबे ट्रेन में बिना टिकट सवार होकर दादर जाते और वहां से मुंबई सीएसएमटी तक पैदल चलते हुए घर-घर भीख मांगते थे। बरसों तक उन्होंने भीख मांगकर अपने परिवार का भरण-पोषण किया। मात्र सातवीं तक की पढ़ाई करनेवाले महादेव के पास ८ वर्षों तक गाड़ी धोने और भीख मांगने के बाद कुछ पैसे जमा हुए तो उन्होंने १९८० में ड्राइविंग लाइसेंस बनवाया और ऑटोरिक्शा चलाना शुरू कर दिया। २० वर्षों तक सड़कों पर ऑटोरिक्शा चलाने और सन् २००० से आज तक टैक्सी चलाकर वो अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं। आज महादेव के परिवार में दो बेटे और दो बेटियां हैं। महादेव कसबे ने बताया कि उन्होंने डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर द्वारा लिखित कई किताबों का अध्ययन किया और उन्हें उनके विचारों से प्रेरणा मिली कि शिक्षा वह हथियार है जो व्यक्ति को ताकतवर बना सकता है। इसके बाद महादेव कसबे ने प्रण किया कि भले ही वह शिक्षा नहीं प्राप्त कर पाए लेकिन अपने बच्चों को उच्च शिक्षा दिलवाएंगे। उच्च शिक्षा दिलाने को लक्ष्य बनाकर महादेव कसबे ने मुंबई की सड़कों पर १८ से २० घंटे तक गाड़ी चलाई। महादेव की मेहनत का नतीजा यह हुआ कि उनकी एक बेटी वकील बन गई और एक बेटा मुंबई पुलिस में अधिकारी बन गया। महादेव कसबे का बेटा आज नई मुंबई पुलिस दल में कार्यरत है। कालांतर में राजावाड़ी के आंबेडकर नगर की झोपड़पट्टी का सरकार ने पुनर्वसन किया और महादेव कसबे को कुर्ला के कोहिनूर परिसर में फ्लैट भी मिल गया। आज उम्र के ६० वर्ष पार कर चुके महादेव अपने पुराने दिनों को भूले नहीं हैं और आज भी अनवरत टैक्सी चला रहे हैं। महादेव कसबे आज मुंबई की सड़कों पर भीख मांगने वाले लोगों की हरसंभव सहायता करते हैं और वे उनके बच्चों को पढ़ाई करने के लिए प्रेरित भी करते रहते हैं। महादेव का एक बेटा ऑटो ड्राइवर है, जबकि दूसरी बेटी उच्च शिक्षा प्राप्त कर रही है। संविधान निर्माता और ‘भारत रत्न’ डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के कट्टर भक्त महादेव कसबे का मानना है कि अगर डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के विचारों से वे प्रभावित नहीं हुए होते तो शायद वे आज भी मुंबई की सड़कों पर भीख मांग रहे होते और शायद उनका परिवार भी इसी पेशे में होता।