मुख्यपृष्ठस्तंभमेहनतकश : परिश्रम के बल पर छुआ आसमान

मेहनतकश : परिश्रम के बल पर छुआ आसमान

राजेश जायसवाल

मुंबई के वडाला में रहनेवाली दो बच्चों की मां माधवी जायसवाल का कहना है कि मेहनत का कोई विकल्प नहीं होता है। परिस्थितियां चाहे जैसी भी हों आदमी को निराश नहीं होना चाहिए। हर हार में जीत छुपी है, बस आप आगे बढ़ते रहें। विपरीत परिस्थितियों में भी यदि आप हिम्मत से काम लेंगे तो परिस्थितियां आपकी दासी बन जाएंगी।
सीखने की भावना और परिश्रम से आकाश छूने की जिद रखनेवाली माधवी बताती हैं कि ग्रेजुएशन के बाद २०१७ में मेरा विवाह हो गया। एक वर्ष बाद बेटे अरिहान के पैदा होने के बाद उसके लिए कपड़े खरीदते-खरीदते आभास हुआ कि बाल्यकाल ही जीवन का सबसे शुद्ध रूप है। यही वजह है कि २०१९ में हमने ‘बेबीविश’ कंपनी खोली। मेरे पति अरविंद सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं। हम दोनों ने सोचा क्यों न अपने बिजनेस को ऑनलाइन किया जाए, जिससे देश-विदेश तक अपने ब्रांड की पहुंच हो। आज सिर्फ ऑनलाइन के जरिए मेरी कंपनी ५ करोड़ के ऊपर टर्नओवर कर रही है। अपने अनुभवों को साझा करते हुए माधवी कहती हैं कि शुरुआती दौर में हमने भी जॉब किया, प्राइवेट नौकरी के लिए जगह-जगह भटकी पर आज जब पीछे मुड़कर देखती हूं तो यकीन नहीं होता कि उस कठिन दौर को पार कर लिया है। माधवी कहती हैं कि हर महिला को अपनी लाइफ में रिस्क लेना चाहिए और जो सही लगे वही करें। कभी खुद के सपनों को न मारें। लक्ष्य को हासिल करने में कुछ मुश्किलें जरूर आएंगी। माधवी बताती हैं कि ‘बेबीविश’ का संबंध माता-पिता द्वारा बनाए गए ऐसे पितृत्व से है, जो उन्हीं संघर्षों से गुजरे हैं। हम एक ऐसा ब्रांड लेकर आए हैं, जिस पर माता-पिता आंख मूंदकर भरोसा करने के साथ ही महसूस कर सकते हैं कि ‘बेबीविश’ के साथ उनके बच्चे का आराम सबसे पहले आता है। हम सर्वश्रेष्ठ कॉटन से शिशु के पैदा होने के साथ १५ वर्ष तक के बच्चों के कपड़े की मैन्युपैâक्चरिंग करते हैं क्योंकि हर बच्चा सर्वश्रेष्ठ का हकदार है। जैसे-जैसे हमारे प्रोडक्ट्स की डिमांड बढ़ती गई वैसे-वैसे हमारा बिजनेस बढ़ता गया। यहां पहुंचकर हमें गर्व होता है कि आज हमारा अस्तित्व हमारे ग्राहकों की वजह से है। किड्स गारमेंट्स की मांग हमेशा एक वयस्क गारमेंट की तुलना में अधिक होती है। ऐसे में बच्चों के लिए गारमेंट्स बनाने का बिजनेस हमें दोहरी खुशी देती है। साथ ही कपड़ों को डिजाइन करते वक्त अपना बचपना याद आ जाता है। आज मुझे पैâशन, पैâब्रिक और मार्वेâट के बारे में अच्छी-खासी समझ हो गई है। अब इसी प्रोजेक्ट को हमने फ्यूचर प्रोफेशन में कन्वर्ट कर लिया है। अपने ससुर ओमकार जायसवाल को अपना आदर्श माननेवाली माधवी कहती हैं कोरोना के दौरान कंपनी को संभालना बड़ी चुनौती थी, लेकिन उन्होंने हिम्मत जुटाई और अपनी कोशिशें जारी रखीं। सासू मां के देहांत के बाद घर की जिम्मेदारियों के अलावा मैं दोनों बच्चों की अच्छी परविश के साथ-साथ कंपनी संभालती हूं। माधवी का कहना है कि सरकारी नौकरियों के पीछे भागने की बजाय लोग सरकार द्वारा स्वरोजगार के क्षेत्र में उपलब्ध करवाए जा रहे संसाधनों का लाभ उठाकर अपने जीवन स्तर को ऊपर उठाएं।

अन्य समाचार