अशोक तिवारी
शिक्षा के महत्व को समझते हुए महाराष्ट्र के नगर जिले में गन्ने के खेत में मजदूरी करनेवाले एक गरीब व्यक्ति ने जी-तोड़ मेहनत कर न केवल अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलवाई, बल्कि एक बेटे को आर्मी में तो वहीं दूसरे को एसटी ड्राइवर और तीसरे को इंजीनियर बनाया। घाटकोपर के असल्फा में रहनेवाले गणेश बालासाहेब पालवे ने बताया कि उनके पिता बालासाहेब पालवे नगर जिले के मेहकरी गांव के रहनेवाले हैं। बालासाहेब पालवे इतने गरीब परिवार से थे कि उनके पिता यानी गणेश के दादाजी नगर तालुका के खेतों में गन्ना किसानों के यहां मजदूरी करते थे। नगर जिले के श्रीरामपुर तालुका में एक छोटे कमरे में चार लोगों के साथ गुजारा करनेवाले बालासाहेब पालवे के लिए अपनी तनख्वाह से पत्नी और दो बच्चों का गुजारा करना बड़ा ही मुश्किल हो जाता था। सातवीं तक की शिक्षा श्रीरामपुर के एक छोटे से स्वूâल से लेनेवाले गणेश ने १२वीं की शिक्षा नगर के एक स्वूâल से प्राप्त की। बचपन में मजदूरी करनेवाले बालासाहेब पालवे अपने मित्र की सलाह पर ट्रक चलाने लगे। कुछ वर्षों तक ट्रक चलाने के बाद बालासाहेब पालवे महाराष्ट्र की एसटी सेवा में भर्ती हो गए और आज नगर जिले के तारकपुर बस डिपो में बतौर ड्राइवर कार्यरत हैं। बालासाहेब पालवे ने अपने बेटे गणेश को इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए पुणे भेजा। गणेश ने कड़ी मेहनत कर वर्ष २०१६ में इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त कर ली और २०१७ में रोजी-रोटी की तलाश में मुंबई आ गए। मुंबई आने के बाद दो वर्षों तक उन्होंने छोटी-मोटी नौकरी करने के दौरान जिंदगी की कठिनाइयों को बहुत ही करीब से देखा। नौकरी के दौरान ही उन्होंने पुणे के सिंहगढ़ कॉलेज से एमबीए की डिग्री प्राप्त कर ली। बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि वाले गणेश ने दो वर्षों में ही मुंबई मनपा के सिविल कार्यों का ठेका लेना शुरू कर दिया। गणेश के इस कार्य में उनके चचेरे भाई योगेश उनका भरपूर साथ दे रहे थे। गणेश बताते हैं कि उनके पास करीब एक दर्जन लोग काम कर अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं। अपनी मेहनत के बलबूते व्यवसाय में काफी नाम करनेवाले गणेश का व्यवसाय अच्छा-खासा चल रहा है। मात्र ७ वर्षों में अपनी मेहनत के बलबूते प्रगति करनेवाले गणेश अपने पिता को रिटायरमेंट के बाद बेहतरीन जिंदगी देना चाहते हैं। गणेश पालवे का मानना है कि शिक्षा इंसान के जीवन का सबसे मजबूत हथियार है। शिक्षा के द्वारा ही इंसान अपनी गरीबी को कामयाबी में बदल सकता है। आनेवाले समय में गणेश पालवे युवा वर्ग को शिक्षित करने के लिए एक मुहिम चलाने के साथ ही उन्हें अनुदान भी देंगे। गणेश पालवे चाहते हैं कि हर गरीब मां-बाप अपने बच्चों को उच्च शिक्षा अवश्य दिलवाएं, ताकि उन बच्चों के सपनों को एक ऊंची उड़ान मिल सके।